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नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था को लगे दोहरे झटके में देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मार्च माह में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई जबकि अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति एक बार फिर पांच प्रतिशत से उपर निकलर 5.39 प्रतिशत पर पहुंच गई। मुद्रास्फीति बढ़ने से रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में तुरंत कमी लाने की संभावनायें धूमिल पड़ सकतीं हैं। विनिर्माण और खनन क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के साथ-साथ पूंजीगत सामानों के उत्पादन में गिरावट से औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर धीमी पड़ी है जबकि खाद्य पदार्थों के ऊंचे दाम से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। इससे पिछले कुछ महीने से खुदरा मुद्रास्फीति में जारी गिरावट का क्रम थम गया। इससे पहले मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 4.83 प्रतिशत रही थी जो कि पिछले छह माह में सबसे कम था। एक साल पहले अप्रैल में यह 4.87 प्रतिशत रही थी। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने पर अपनी टिप्पणी में कहा, ‘इसका आगे विश्लेषण किये जाने की जरूरत है। शायद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की कुछ मुद्रास्फीति में पिछले साल के तुलनात्मक आधार का भी असर हो। कुल मिलाकर मुख्य मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से नीचे बनी हुई है सकल आंकड़ा भी 5.5 प्रतिशत से नीचे है।

यह लक्ष्य के दायरे में है।’ अप्रैल के आज जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक माह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 6.32 प्रतिशत हो गई जो कि एक माह पहले मार्च में 5.21 प्रतिशत थी।

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