नई दिल्ली: ईंधन की गुणवत्ता में सुधार के लिए देश की सभी सरकारी तेल कंपनियां अपनी रिफाइनरी को अगले साल एक से डेढ़ महीने तक बंद रखेंगी। इस दौरान तेल शोधन कार्य ठप रहने से ईंधन की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार को या तो निजी रिफाइनरी कंपनियों से शोधित तेल लेना होगा या बाहर से आयात करना पड़ेगा और दोनों ही स्थितियों में ईंधन के दाम बढ़ सकते हैं।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के प्रमुख (रिफाइनरी) बीवी रामा गोपाल ने कहा, अगला साल हमारे लिए चुनौतीपूर्ण होने वाला है। अप्रैल 2020 तक भारत स्टेज-6 (बीएस-6) ईंधन की आपूर्ति के लिए सभी रिफाइनरी को अपग्रेड करना जरूरी है। इसके लिए 30-45 दिनों तक कंपनी की सभी 11 रिफाइनरी को बंद रखना पड़ेगा। इसका सीधा असर ईंधन की मांग और आपूर्ति पर पड़ेगा, जिससे सरकार पर आयात का दबाव बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत दुनियाभर में तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, लेकिन अतिरिक्त शोधन भंडार होने से गैसऑयल और गैसोलीन जैसे ईंधन का आयात बहुत ही कम होता है। चूंकि लगभग सभी सरकारी तेल कंपनियां आईओसी, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स अपनी रिफाइनरी को बंद रखेंगी, इसलिए निजी रिफाइनरी कंपनियों के तेल उतपादन की मांग बढ़ जाएगी।
सरकारी कंपनियां कुल ईंधन के करीब 60 फीसदी हिस्से का शोधन करती हैं, जबकि देश में प्रतिदिन 50 लाख बैरल ईंधन की खपत होती है। एचपीसीएल के चेयरमैन एमके सुराना ने बताया कि कंपनी विजाग और मुंबई स्थित अपनी डीजल और गैसोलीन इकाई को अपग्रेड करने के लिए एक से डेढ़ माह तक बंद रखेगी। इस दौरान क्रूड ऑयल शोधन का कार्य धीमा हो जाएगा। हालांकि हम एक बार में ही रिफाइनरी को शटडाउन कर अपग्रेडेशन कार्य पूरा कर लेंगे, इससे बार-बार समस्या नहीं आएगी। मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एम. वेंकटेश का कहना है कि कुछ समय के लिए रिफाइनरी बंद होने के बावजूद हम इस बात पर नजर रखेंगे कि ईंधन का आयात न करना पड़े और निजी व स्थानीय रिफाइनरी कंपनियों की इकाई से ही मांग को पूरा किया जा सके।
आयात का दबाव बढ़ेगा
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी कंपनियों के सस्ते ईंधन की अपेक्षा निजी कंपनियों से खरीदना महंगा पड़ सकता है, जहां माल भाड़े की लागत ज्यादा होती है। सिंगापुर स्थित तेल-गैस की वैश्विक परामर्श संस्था एफजीई की प्रमुख सलाहकार परावैक्करासू ने कहा कि ऐसी ही स्थिति अप्रैल 2017 में आई थी जब भारत बीएस-4 ईंधन की ओर बढ़ रहा था। लंबे समय तक रिफाइनरी बंद होने से घरेलू बाजार में मौजूदा बीएस-4 ईंधन की आपूर्ति काफी कम हो सकती है। ऐसे में सरकारी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार से ईंधन आयात करने की ओर बढ़ सकती हैं। बीपीसीएल के रिफाइनरी प्रमुख आर. रामचंद्रन का कहना है कि कंपनी अपनी दो इकाइयों को बंद करेगी, जिससे बाद में ज्यादा गुणवत्ता वाले डीजल का उत्पादन किया जा सकेगा। इस कारण कुछ समय के लिए ईंधन आयात की जरूरत पड़ सकती है।
रिफाइनरी में होंगे ये बदलाव
ईंधन की गुणवत्ता में सुधार कर बीएस-6 ग्रेड का उत्पादन करने के लिए तेल कंपनियां अपनी रिफाइनरी में कई बदलाव करेंगी। इसके लिए नैप्था हाइड्रोट्रीटर्स, कैटालिटिक रिफॉर्मिंग यूनिट, आइसोमेराइजेशन यूनिट, डीजल सल्फ्यूराइजर्स और डीजल हाइड्रोट्रीटर्स में बदलाव किया जाएगा। कुछ कंपनियां नए गैसोलीन ट्रीटर्स, हाइड्रोजन प्रोडक्शन और सल्फर रिकवरी यूनिट में भी बदलाव करेंगी।