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डलास (अमेरिका): पाकिस्तान को गिलगित-बाल्टिस्तान पर ‘कब्जा करने वाला’ बताते हुए अमेरिका के एक संगठन ने कहा है कि यदि इस्लामाबाद जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से से अपना कब्जा हटा लेता है तो इससे कश्मीर की समस्या को सुलझाने में मदद मिलेगी। वाशिंगटन डीसी की गिलगित-बाल्टिस्तान नेशनल कांग्रेस के निदेशक सेंज सेरिंग ने कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी की गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों को रेखांकित करने की नीति एक सकारात्मक कदम है।’ सेरिंग ने एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने प्रस्तावों के जरिए पाकिस्तान को गिलगित-बाल्टिस्तान में एक घुसपैठिया घोषित किया है। उन्होंने कहा, ‘भारत समेत पाकिस्तान के अन्य पड़ोसियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को यह याद दिलाना चाहिए कि वह गिलगित-बाल्टिस्तान में एक कब्जाधारी है और उस क्षेत्र से पाकिस्तान के हटने के बाद ही कश्मीर और गिलगित-बालटिस्तान के विवाद को जल्दी सुलझाने में मदद मिलेगी।’ सेरिंग ने कहा, ‘चूंकि गिलगित-बाल्टिस्तान एक विवादित क्षेत्र है, इसलिए इस विवाद को सुलझाने का रास्ता खोजने के लिए वहां के लोगों के पास संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय के प्रतिनिधियों, श्रीनगर में कश्मीर सरकार और दिल्ली में भारत की केंद्र सरकार के साथ सीधी वार्ता करने का अधिकार होना चाहिए।’

लाहौर: जमात-उद-दावा (जेयूडी) प्रमुख हाफिज सईद ने आज लाहौर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए नवाज शरीफ सरकार को निर्देश देने की मांग की। अपने वकील एके डोगर के जरिए दायर याचिका में सईद ने कहा है कि पीएमएल-एन सरकार बयान जारी करने के अलावा कश्मीर में हो रहे भारत के अत्याचारों के विषय को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के लिए व्यवहारिक रूप से कुछ नहीं कर रही है। सईद ने कहा कि भारत का दावा महाराजा हरि सिंह द्वारा 26 अक्तूबर 1947 को कश्मीर को भारत में बहुत ही विवादास्पद तरीके से और जबरन शामिल कराए जाने पर आधारित है, जब वह अपनी राजधानी श्रीनगर से भाग रहे थे। उसने कहा कि जम्मू कश्मीर को भारत और पाकिस्तान द्वारा अपने में शामिल किए जाने के विषय पर मुक्त एवं निष्पक्ष जनमत संग्रह के लोकतांत्रिक तरीके से फैसला होना चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके। सईद ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया है कि संविधान के अनुच्छेद नौ के तहत संघीय सरकार को निर्देश जारी किया जाए, ताकि भारत के साथ बिना कोई और युद्ध के भय के शांति एवं सुरक्षा के साथ रहने का मौलिक अधिकार हासिल हो और सुरक्षा परिषद के 1948 के प्रस्ताव का क्रियान्वन के लिये दवाब बनाया की दिशा में कदम उठाये जांय। इसके अलावा सरकार को सुरक्षा परिषद पर दबाव बनाना चाहिए कि वह कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए नयी तारीख तय करे।

बीजिंग: चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा से पहले चीन के सरकारी मीडिया ने आज कहा कि एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए दरवाजा ‘कस कर बंद नहीं’ है और उसे दक्षिण चीन सागर पर चीन की चिंताओं को पूरी तरह समझना चाहिए। चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अपनी समीक्षा में भारत और चीन को प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि साझेदार करार देते हुए कहा कि ‘चूंकि बीजिंग और नयी दिल्ली शीर्ष स्तरीय गहन कूटनीतिक संपर्कों के सीजन में जा रहे हैं जो उनकी साझेदारी को परिभाषित कर सकते हैं, दोनों को अपनी असहमतियों को नियंत्रण में रखने के लिए मिल कर काम करना चाहिए।’ समीक्षा में कहा गया है, ‘और सभी से इतर यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि भारत ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में अपने प्रवेश पर रोक के लिए चीन पर गलत तौर पर आरोप लगाया है।’ शिन्हुआ ने वस्तुत: चीन की इस अनवरत मांग की तरफ इशारा किया कि वैश्विक परमाणु वाणिज्य का नियंत्रण करने वाले 48 सदस्यीय निकाय में एनपीटी पर दस्तखत अनिवार्य है और कहा, ‘अभी तक, परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले के एनएसजी सदस्य बनने की कोई मिसाल नहीं है। परमाणु पदाथरे के वैश्विक प्रवाह की निगरानी करने वाले निकाय के अंदर बहुत से सदस्य किसी गैर-संधि पक्ष को सदस्यता कार्ड थमाने में सावधानी बरतने पर जोर देते हैं।’ शिन्हुआ ने अपनी समीक्षा में कहा, ‘बहरहाल, नई दिल्ली को अपना दिल छोटा नहीं करना चाहिए क्योंकि एनएसजी का दरवाजा कस कर बंद नहीं है।’

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के एक शीर्ष राजनयिक ने आज कहा कि उनका देश परमाणु परीक्षण पर द्विपक्षीय रोक को लेकर भारत के साथ समझौता करने को तैयार है। प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा, ‘हमने आगे के परीक्षणों को लेकर एकपक्षीय पाबंदी घोषित की है। पाकिस्तान अपने एकपक्षीय रोक को भारत के साथ द्विपक्षीय समझौते में बदलने पर विचार करने को तैयार है।’ पिछले सप्ताह हुए राजदूतों के सम्मेलन के बारे में मीडिया को बताते हुए अजीज ने कहा कि बैठक में यह बात सामने आई कि पाकिस्तान निरंतर रूप से ‘व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि’ (सीटीबीटी) का समर्थन करता रहा है और वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे स्वीकार किये जाने के वक्त भी इसके पक्ष में मत दिया था। अजीज ने कहा कि सम्मेलन में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के लिए पाकिस्तान के आवेदन और क्षेत्रीय परमाणु स्थिरता मुद्दे पर विस्तृत बात की गई। उन्होंने कहा कि एनएसजी सदस्यता के लिए भारत के साथ पाकिस्तान भी एक आवेदक है।

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