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मास्को: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे इस बात पर सहमत हो गए हैं कि वे निकट भविष्य में मुलाकात करेंगे। क्रेमलिन ने यह जानकारी दी। क्रेमलिन ने कल एक बयान में इस मुलाकात की कोई तारीख दिए बगैर कहा कि लंदन से आई एक फोन कॉल के बाद दोनों नेताओं ने निकट भविष्य में निजी तौर पर एक मुलाकात करने की योजना बनाई। क्रेमलिन के आलोचक रहे और पूर्व जासूस अलकसांद्र लितविनेंको के मामले की सुनवाई को लेकर ब्रिटेन ओैर रूस के बीच संबंधों में हाल के वर्ष में खटास आ गई थी । लितविनेंको की 2006 में लंदन में रेडिएशन पायजनिंग के जरिए हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा उक्रेन संकट में रूस की भूमिका को लेकर मास्को पर पश्चिम द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का भी ब्रिटेन मुखर समर्थक रहा है। क्रेमलिन से जारी बयान में कहा गया है कि इस मुलाकात में रूस और ब्रिटेन के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के साथ साथ दोनों देशों के बीच राजनीतिक, व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग के संबंध में हालिया स्थिति पर भी बात हो सकती है। बयान के अनुसार दोनों देशों के बीच हवाई परिवहन सुरक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त रूप से काम करने पर भी सहमति बनी है। पिछले माह मे के प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद पुतिन ने कहा था कि वह ब्रिटेन की नई नेता के साथ ‘रचनात्मक वार्ता ’के लिए तैयार हैं।

वाशिंगटन: अमेरिका का कहना है कि विवादित दक्षिण चीन सागर के एक मानव निर्मित द्वीप पर चीन की सैन्य मौजूदगी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के इस क्षेत्र के बारे में दिए बयान पर सवाल खड़े करती हैं । विदेश विभाग की प्रवक्ता एलिजाबेथ ट्रूडो ने कल संवाददाताओं से कहा, ‘इस तरह की दोहरी निर्माण गतिविधि से क्षेत्र में तनाव बढ़ा है । उन्होंने चीन की पिछले सितंबर में राष्ट्रपति शी के दिए उस बयान का अनुपालन करने की इच्छा पर भी सवाल उठाया जिसमें कहा गया था कि चीन अपनी बाहरी चौकियों का सैन्यीकरण करने की कोई इच्छा नहीं रखता।’ उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियां क्षेत्रीय सहयोगियों के उस भरोसे को कमतर करती हैं कि चीन विवादित मुद्दों का समाधान जबरन बल प्रयोग का तरीका अपनाए बिना ही करना चाहता है । त्रूदू हाल में वाशिंगटन स्थित एक विचारक मंडल की ताजा रिपोर्ट के संदर्भ में पूछे गए सवाल का जवाब दे रही थी । इस रिपोर्ट में उपग्रह से खींची गई तस्वीरों के जरिए यह बताया गया है कि चीन ने दक्षिण चीन सागर स्थित अपने मानव निर्मित द्वीप पर सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं । उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर पर अपना अपना दावा पेश करने वाले सभी देशों से गुजारिश है कि वे विवादित क्षेत्र में धरती पर कब्जा करना और वहां नई सैन्य सुविधाओं का विस्तार करना बंद करें ओैर इसकी जगह 12 जुलाई को आई अंतरराष्ट्रीय अदालत की व्यवस्था के जरिए पेश अवसर का लाभ उठाकर आपसी समझदारी से विवाद का समाधान करें ।

इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना के शीर्ष कमांडरों ने कहा है कि देश में आतंकी खतरे की मुख्य वजह भारत द्वारा प्रबंधित अफगानी शत्रुओं और पाकिस्तान के अंदर उनके मददगार के बीच बढ़ती सांठ-गांठ है. पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' की वेबसाइट के अनुसार, कोर कमांडरों की बैठक में पाकिस्तान के सेना प्रमुख राहील शरीफ भी उपस्थित थे. बैठक में कमांडरों ने कहा कि खतरा अफगानिस्तान की धरती से उत्पन्न हो रहा है, जिसका प्रबंधन भारतीय खुफिया एजेंसी कर रही है. इंटर-सर्विस पब्लिक रिलेशंस के एक बयान के अनुसार, हालांकि यह भी माना गया कि देश के अंदर के मददगार बाहरी दुश्मनों के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध कराते हैं. कोर कमांडरों की बैठक सेना मुख्यालय में मंगलवार को आयोजित हुई थी. सम्मेलन में जनरलों ने खतरे की समीक्षा की और आसन्न सुरक्षा खतरों की चुनौतियों से निपटने के उपायों पर चर्चा की. हालांकि बैठक हर माह होती है, लेकिन इस बार की बैठक इसलिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि गत सोमवार को क्वेटा के एक अस्पताल पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कम से कम 70 लोग मारे गए थे. आगामी एक उच्चस्तरीय बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए भावी दिशानिर्देश तय करने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है. x जनरल शरीफ ने कमांडरों से कहा कि क्वेटा हमला जर्ब-ए-अज्ब अभियान की सफलता को नजरअंदाज करने का एक प्रयास था.

ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष की नेता खालिदा जिया को राहत प्रदान करते हुए एक अदालत ने उन्हें राजद्रोह समेत नौ मामलों में बुधवार को जमानत दे दी. मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश कामरूल हसन मुल्ला ने राजद्रोह के मामले में जिया को जमानत दी. सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने मुक्तिसंग्राम के शहीदों के खिलाफ टिप्पणी को लेकर उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज कराया था. पिछले साल 21 दिसंबर को एक परिचर्चा के दौरान 70-वर्षीय खालिदा जिया ने 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए मुक्ति संग्राम में हताहतों की संख्या को लेकर संदेह प्रकट किया था. जिया की पार्टी बीएनपी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की अहम सहयोगी है, जो पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति के खिलाफ थी. सत्तारूढ़ आवामी लीग, 1971 के मुक्ति संग्राम के सेनानियों और शहीद परिवारों के सदस्यों ने जिया के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और कुछ ने तो उन्हें पाकिस्तान का एजेंट भी बताया था. जिया ने इस मामले में जमानत की मांग करते हुए आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद अदालत जमानत का आदेश दिया. जिया के अदालत पहुंचने के बाद उनके समर्थक अदालत के बाहर इकट्ठा थे और उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए. अदालत ने आगजनी के आठ मामलों में भी जिया को जमानत दे दी. द्राउसलाम थाने ने ये मामले दर्ज किए थे. जिया और उनकी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के 27 नेताओं एवं पदाधिकारियों पर सरकार के खिलाफ अभियान के दौरान ढाका में आग लगने वाले बम फेंकने की साजिश रचने का आरोप है.

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