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सोल: दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में कंपकंपाती ठंड के बीच करीब 13 लाख प्रदर्शनकारियों ने आज सड़क पर उतरकर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी राष्ट्रपति पार्क ग्वेन-हे से इस्तीफा देने और ऐसा नहीं करने पर महाभियोग का सामना करने की मांग की । प्रदर्शनकारियों ने ‘पार्क ग्वेन-हे को गिरफ्तार करो’ और ‘पार्क को जेल में डालो’ जैसे नारे लगाते हुए कैंडल मार्च किया, नाचे और गाने गाए। मुख्य रैली स्थल से लगाए जा रहे इन नारों की गूंज महज डेढ़ किलोमीटर दूर राष्ट्रपति आवास ‘ब्लू हाउस’ तक पहुंच रही थी। रैली के आयोजकों की ओर से प्रदर्शनकारियों की बताई गई संख्या के हिसाब से इसे अब तक का सबसे विशाल साप्ताहिक प्रदर्शन माना जा रहा है। भ्रष्टाचार के आरोपों से राष्ट्रपति पार्क के घिरने के बाद इन प्रदर्शनों की शुरूआत सोल में करीब एक महीने पहले हुई थी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की संख्या दो लाख 60 हजार बताई है। स्थानीय समय के मुताबिक रात आठ बजे प्रदर्शनकारियों ने अपने-अपने कैंडल निकाले और एक मिनट बाद उसे फिर से जलाया। ऐसा एक चेतावनी के तौर पर किया गया कि उनका प्रदर्शन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक पार्क अपने पद से इस्तीफा नहीं दे देतीं। 23 साल के छात्र ली स्यांग-चियल ने एएफपी को बताया, ‘मैं नहीं समझता कि पार्क स्वेच्छा से पद छोड़ेंगी। लेकिन जितना संभव हो सकेगा, हम अपनी आवाज उतनी बुलंद करेंगे ताकि संसद उन पर महाभियोग चलाने को बाध्य हो जाए।’

कराची: चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के तहत बनने वाले सामरिक महत्व के ग्वादर बंदरगाह और व्यापारिक मार्गों की हिफाजत के लिए पाकिस्तान अपनी नौसेना और नौसैन्य पोत तैनात करेगा। पाकिस्तान की इस योजना से भारत को चिंता हो सकती है। नौसेना के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। यह परियोजना 46 अरब डालर की है। चीन और पाकिस्तान अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह को शिंजियांग से जोड़ने के लिए करीब 3,000 किलोमीटर लंबा आर्थिक गलियारा बना रहे हैं। यह कदम चीन में तेल परिवहन के लिए एक नया और सस्ता मालवाहक मार्ग खोलेगा। साथ ही इस रास्ते से चीनी वस्तुओं का मध्य पूर्व और अफ्रीका में निर्यात होगा। पाकिस्तानी नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि ग्वादर बंदरगाह को क्रियान्वित किए जाने और सीपीईसी के तहत आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के बाद समुद्री बलों की भूमिका बढ़ गई है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने अनाम अधिकारी के हवाले से बताया कि चीन सीपीईसी के तहत बंदरगाह और व्यापार की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान नौसेना के सहयोग से नौसेना के जहाज तैनात करेगा। इससे पहले चीन इस कहने से बचता रहा है कि उसका ग्वादर में नौसैन्य पोत तैनात करने की योजना है। यह कदम अमेरिका और भारत में चिंता पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सीपीईसी और ग्वादर बंदरगाह चीन और पाक की सैन्य क्षमताएं बढ़ाएगा तथा अरब सागर में चीनी नौसेना की आसान पहुंच को संभव बनायेगा।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने भारत की ओर से संघर्ष विराम के कथित उल्लंघन पर आज (शनिवार) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों (पी ५) के दूतों को जानकारी देने के दौरान कहा कि भारत का शत्रुतापूर्ण रूख क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है और इससे रणनीतिक गलती हो सकती है। विदेश कार्यालय ने यहां बताया कि विदेश मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने पी 5 देशों ..अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस..के दूतावासों के प्रमुखों को नियंत्रण रेखा और ‘वर्ग बाउंड्री’ पर बगैर उकसावे के भारतीय बलों द्वारा कथित तौर पर संघर्ष विराम उल्लंघन जारी रखने के बारे में जानकारी दी। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने एक बयान में बताया कि चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन तथा अमेरिका के प्रतिनिधियों को विदेश मंत्रालय में जानकारी दी गई। अजीज ने कहा कि भारत का शत्रुतापूर्ण रूख क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा है तथा इससे रणनीतिक गलती हो सकती है। उन्होंने 23 नवंबर को नीलम घाटी में यात्रियों को ले जा रही एक बस पर हुए हमले की सख्त निंदा की। इसे 2003 के संघर्ष विराम और अंतरराष्ट्रीय कानून तथा अंतरराष्ट्रीय मानवता कानून का पूरा उल्लंघन बताया। अजीज के हवाले से बताया कि भारतीय बलों ने एंबुलेंसों पर भी हमला किया जो राहत के लिए मौके पर आ रही थी। रिहाइशी इलाकों को जानबूझ कर निशाना बनाना निंदनीय है और इसकी अवश्य जांच होनी चाहिए।

वाशिंगटन: अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने कहा है कि यदि अमेरिका ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान :बांग्लादेश: के लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना द्वारा मानवाधिकार उल्लंघनों और प्रताड़ना की सरेआम निंदा की होती तो अमेरिका और चीन के बीच वार्ता का पाकिस्तानी माध्यम टूट गया होता। ‘द अटलांटिक’ पत्रिका को दिए साक्षात्कार में किसिंजर ने कहा कि उस वक्त अमेरिका ने चीन के साथ कई अति गोपनीय बातचीत की थी और एक सफलता हासिल करने के कगार पर था। यह उस वक्त की बात है जब मार्च 1971 में बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम शुरू हुआ था। किसिंजर ने कहा कि ये बातचीत पाकिस्तान के माध्यम से हुई, जो चीन और अमेरिका के लिए सर्वाधिक स्वीकार्य वार्ताकार के रूप में उभरा था। उन्होंने कहा कि इन उल्लंघनों की सरेआम निंदा से पाकिस्तानी माध्यम टूट गया होता। उस वक्त अमेरिका में निक्सन प्रशासन था। किसिंजर ने बताया, ‘..हम सरेआम प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर सके। लेकिन हमने हालात के हल के लिए काफी मात्रा में भोजन उपलब्ध कराया और कूटनीतिक कोशिशें की।’ किसिंजर ने बताया कि पाकिस्तान के जरिए चीन से बातचीत के बाद अमेरिका ने धीरे धीरे पाकिस्तान से अनुरोध किया कि वह बांग्लादेश को स्वायत्ता प्रदान करे। बांग्लादेश को स्वतंतत्रता देने के लिए नवंबर में पाकिस्तान के राष्ट्रपति निक्सन के साथ इस बात पर सहमत हुए।

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