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नई दिल्ली: क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट क्रांति के नेता रहे फिदेल कास्त्रो का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मौजूदा प्रेसिडेंट और फिदेल के भाई राउल ने सरकारी टेलीवीजन पर दुनिया के महान क्रांतिकारी में शुमार फिदेल के निधन की घोषणा करते हुए कहा, ‘क्यूबा की क्रांति के दूत का इस शुक्रवार रात 10 बजकर 29 मिनट पर निधन हो गया।’वह 90 वर्ष के थे। फिदेल कास्त्रो के चाहने वाले दुनियाभर में फैले हैं।1959 में कास्त्रो, रेवोल्यूशन के जरिए अमेरिका सपोर्टेड फुल्गेंकियो बतिस्ता की तानाशाही को उखाड़ फेंक सत्ता में आए थे। उसके बाद वह क्यूबा के पीएम बन गए और 1976 तक इस पोस्ट पर रहे। कास्त्रो 1976 से 2008 तक क्यूबा के प्रेसिडेंट भी रहे। फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा पर करीब 5 दशक तक राज किया और इसके बाद साल 2008 में अपने भाई राउद कास्त्रो को सत्ता सौंप दी थी। फिदेल के समर्थक क्यूबा को आम लोगों के हाथों में वापस देने के लिए उनकी खूब सराहना करते हैं। लेकिन उनके विरोधी हमेशा उनपर बलपूर्वक विपक्ष को दबाने का आरोप लगाते रहे हैं। बताया जा रहा है कि फिदेल अप्रैल महीने से सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे थे. उनके बारे में बताया जाता था कि वह हाल के वर्षों में आंत की बीमारी से पीड़ित थे, लेकिन उनकी सेहत के बारे में आधिकारिक तौर पर गोपनीयता रखी जा रही थी। 13 अगस्त, 1926 को जन्मे कास्त्रो को क्यूबा में कम्युनिस्ट क्रांति का जनक माना जाता है और उन्होंने 49 साल तक क्यूबा में शासन किया।

वह फरवरी 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फिर फरवरी 2008 तक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और उनके भाई राउल कास्त्रो को यह पदभार मिला। क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का कहना था कि वह राजनीति से कभी संन्यास नहीं लेंगे लेकिन उन्हें जुलाई 2006 में आपात स्थिति में आंतों का ऑपरेशन कराना पड़ा जिसके कारण उन्होंने सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो के हाथ में सौंप दी। राउल ने अपने भाई के अमेरिका विरोधी रुख के विपरीत काम करते हुए दिसंबर 2014 में संबंधों में सुधार के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हाथ मिलाने की घोषणा करके दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया। जैतून के रंग की वर्दी, बेतरतीब दाढ़ी और सिगार पीने के अपने अंदाज के लिए मशहूर फिदेल ने स्वास्थ्य कारणों के चलते अनिच्छा से राजनीति छोड़ी। फिदेल ने अपने देश में पैदा होने वाले असहमति के सुरों पर कड़ा शिकंजा बनाए रखा और वाशिंगटन की मर्जी के विपरीत चलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। फिदेल को अंतत: राजनीति के खेल में जीत मिली। हालांकि क्यूबा के लोग गरीबी में ही जीते रहे और जिस क्रांति का एक समय बहुत प्रचार किया था, उसने अपनी चमक खो दी। फिदेल कास्त्रो का शनिवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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