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बीजिंग: भारत के साथ रणनीतिक वार्ता से पहले चीन ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधित करने के लिए उसे ‘ठोस साक्ष्य’ चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग सुआंग ने संवाददाताओं को बताया कि विदेश सचिव एस जयशंकर और चीन के कार्यकारी उप विदेश मंत्री झांग येसुई 22 फरवरी को बीजिंग में नये दौर की रणनीतिक वार्ता करेंगे। उन्होंने बताया कि रणनीतिक वार्ता के दौरान दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय हालात और आपसी हितों से जुड़े अन्य क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। रणनीतिक वार्ता को भारत और चीन के बीच संचार और संपर्क का अहम मंच माना जाता है। अजहर के मुद्दे और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर द्विपक्षीय संबंधों में ‘टकराव’ से जुड़ी खबरों के बारे में पूछे जाने पर गेंग ने कहा कि ‘मतभेद केवल स्वाभाविक है।’ उन्होंने कहा, ‘आगामी रणनीतिक वार्ता समेत सभी तरह के संपर्कों के जरिये दोनों पक्ष मतभेद को कम करने और सहयोग के लिए नई सहमति तक पहुचंने के लिए दोनों पक्ष संपर्क बढ़ा सकते हैं।’ अजहर के मुद्दे पर गेंग ने कहा कि ठोस साक्ष्य मिलने पर ही चीन इस कदम का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए सिर्फ एक ही मापदंड महत्वपूर्ण है, और वो है ठोस साक्ष्य। ठोस साक्ष्य होने की स्थिति में आवेदन को स्वीकार किया जा सकता है।

सैन फ्रांसिस्को: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सात मुस्लिम बहुल देशों से अमेरिका आने पर पाबंदी लगाने से संबंधित ट्रैवल बैन कार्यकारी आदेश पर जल्द में बदलाव करेंगे। जस्टिस डिपार्टपेंट की तरफ से कहा गया है कि देश की सुरक्षा के मद्देनजर ट्रंप मुकदमे में ज्यादा समय बर्बाद नहीं करेंगे और वह इसके स्थान पर जल्द ही कोई नया रास्ता निकालेंगे। ट्रंप ने कहा, 'यात्रा प्रतिबंध पर लिया गया उनका निर्णय 'बहुत ही आसान' था लेकिन प्रशासन को इस मामले में अदालत से खराब फैसला मिला।' उन्होंने कहा कि इस संबंध में उनका अगला आदेश कानूनी फैसलों के अनुरूप होगा। इससे पहले अमेरिका के एक जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से सात मुस्लिम बहुल देशों के यात्रियों और प्रवासियों पर लगाए गए प्रतिबंध पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। जिसके बाद इसे लागू करने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई। ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को इस फैसले के विरोध में कहा कि तीनों जज इस निर्णय को गलत समझ रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। ट्रंप सरकार ने तर्क दिया था कि सुरक्षा संबंधी फैसलों पर निर्णय लेने का अधिकार कोर्ट के पास नहीं है, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस फैसले का दुनियाभर में विरोध हो रहा है। अमेरिका के कई शहरों और हवाईअड्डों पर लोग ट्रंप के इस निर्णय के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को सिऐटल के एक फेडरल जज जेम्स रोबाट ने इस बैन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने घर में नजरबंद जमात-उद दावा प्रमुख हाफिज सईद की रिहाई की मांग करते हुये दावा किया कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड का संगठन ‘एक अच्छा एनजीओ’ है जो राहत कार्यों में मदद करता है। मुशर्रफ ने कहा, ‘हाफिज सईद को निश्चित रूप से रिहा किया जाना चाहिये। वे आतंकवादी नहीं है, वे एक बहुत अच्छा एनजीओ चला रहे है, वे पाकिस्तान में भूकंप और बाढ़ के बाद राहत कार्यों में योगदान दे रहे हैं। वे बड़े कल्याण संगठनों का संचालन कर रहे हैं।’ पाकिस्तान के अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व तानाशाह ने कहा, ‘मेरे विचार में वे तालिबान (पाकिस्तान में) के खिलाफ है, उन्होंने पाकिस्तान या दुनिया में कहीं भी कोई आतंकवादी घटना को अंजाम नहीं दिया। इसलिए उनके साथ अलग तरीके से व्यवहार करना चाहिये।’ सरकार ने गत महीने सईद को एग्जिट कंट्रोल लिस्ट में शामिल किया था और उसे देश छोड़ने से रोक दिया। उसे शांति और सुरक्षा के लिए ‘नुकसानदेह’ गतिविधियों में लिप्त रहने के लिए 90 दिन तक घर में नजरबंद रखा गया। मुशर्रफ ने कहा कि भारत इनके खिलाफ है क्योंकि इनके समर्थक भारतीय सेना से लड़ने के लिए स्वैच्छिक तौर पर कश्मीर जाते हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि मुशर्रफ ने यह भी स्वीकार किया कि उसे लंदन और दुबई में अपार्टमेंट खरीदने के लिए 2009 में सउदी अरब के शाह अब्दुल्ला बिन अब्दुलाजीज अल सौद से लाखों अमेरिकी डॉलर मिले थे।

बीजिंग: चीनी की सरकारी मीडिया का कहना है कि अगले हफ्ते रणनीतिक वार्ता के दौरान भारत और चीन को संबंधों को सुधारने के लिए अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव करना चाहिए क्योंकि टकरावों को दूर करने में बफर के रूप में काम करने वाले आर्थिक रिश्ते बाजारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते कमजोर हो रहे हैं। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आलेख में कहा गया है, ‘जब प्रतिस्पर्धा बढ़ती है तो व्यापारिक टकराव को दूर करने के रूप में काम करने वाला आर्थिक रिश्ता कमजोर होता है। ऐसे में दोनों पड़ोसियों को जटिल राजनीतिक स्थिति से और सावधानी से निबटने की जरूरत है।’ इस दैनिक वेबवाइट का यह आलेख कहता है कि पहला भारत चीन रणनीतिक वार्ता 22 फरवरी को बीजिंग में होने की संभावना है। यह अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव के लिए दोनों देशों को एक बड़ा मौका प्रदान करेगा। चीन-भारत वार्ता में विदेश सचिव एस. जयशंकर भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे। संभावना है कि दोनों पक्ष विभिन्न मुद्दों पर बढ़ते तनाव के समाधान के लिए कदमों पर चर्चा करेंगे। इन मुद्दों में जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश के मार्ग में चीन द्वारा अवरोध खड़ा करना शामिल है। अखबार कहता है, ‘ताईवान के महिला प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के बाद भारत-चीन संबंध गंभीर इम्तिहान से गुजर रहा है। ऐसे मुद्दों को भविष्य में और सावधानी से संभाला जाना चाहिए।’

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