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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

संयुक्त राष्ट्र: अफगानिस्तान के हालात को बेहद नाजुक बताते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वहां के हालात सीधे तौर पर भारत के लिए खतरा हैं। यह बेहद जरूरी है कि अफगानी जमीन से आतंकवाद नहीं होने देने के अपने वादे पर तालिबान कायम रहे। उसके इस वादे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद का भी जिक्र है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषषद में अफगानिस्तान पर हुई चर्चा में कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निजी लाभ के लोभ से ऊपर उठकर अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े होने की अपील की है। ताकि इस देश के लोग शांति, स्थिरता और सुरक्षा के साथ जी सकें।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान का करीबी पड़ोसी और वहां के लोगों का मित्र होने के नाते वहां के मौजूदा हालात सीधे तौर पर भारत के लिए भी खतरा हैं। वहां के लोगों की सुरक्षा के लिए तो अनिश्चितता है ही, पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में निर्मित आधारभूत ढांचों और इमारतों के लिए भी यह अनिश्चितता का समय है।

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में नयी अंतरिम सरकार को मान्यता देने की हड़बड़ी में नहीं है और वह अपने नागरिकों को संकटग्रस्त देश से निकालने के लिए तालिबान से बातचीत कर रहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस प्रशासन से कोई नहीं, न तो राष्ट्रपति और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा दल से कोई यह मानेगा कि तालिबान वैश्विक समुदाय का सम्मानित एवं महत्त्वपूर्ण सदस्य है। उन्होंने किसी भी तरह से अपनी साख ऐसी नहीं बनाई है और न ही हमने ऐसा कभी कहा है। यह कार्यवाहक मंत्रिमंडल है जिसमें जेल भेजे जा चुके चार तालिबान लड़ाके भी शामिल हैं।''

उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उसको मान्यता नहीं दी है। साकी ने कहा, “हमने यह नहीं कहा है कि हम इसे मान्यता देंगे और न ही हमें मान्यता देने की कोई जल्दबाजी है। हम अमेरिकी नागरिकों, वैध स्थायी निवासियों, एसआईवी आवेदकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं क्योंकि फिलहाल अफगानिस्तान पर उनका नियंत्रण है। हमें उनसे बातचीत करनी ही होगी।”

नई दिल्ली: तालिबान की कार्यकारी सरकार ने अपने कारनामे दिखाने शुरू कर दिए हैं। तालिबानी गृह मंत्रालय ने देश में प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है। वहीं तालिबानी संस्कृति विभाग की तरफ से कहा गया है कि महिलाओं को खेलकूद में हिस्सा नहीं लेने दिया जाएगा। हाल ही में तालिबान ताबड़तोड़ हवाई फायरिंग करते रहे लेकिन काबुल की सड़कों पर अफगानिस्तान की महिलाएं अपनी आवाज़ बुलंद करती रहीं। कई जगह उन्होंने तालिबानी सिपाहियों का घेरा भी तोड़ दिया, ये सब तालिबान को इतना नागवार गुजरा कि अब उसने प्रदर्शनों पर पाबंदी लगा दी है।

आतंकी लिस्ट में शुमार सिराजुद्दीन हक्कानी के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस समय कोई भी शख़्स किसी तरह का प्रदर्शन न करे। प्रदर्शन करना है तो पहले न्याय मंत्रालय से इसकी अनुमति लें। प्रदर्शन की वजह, जगह, वक़्त, इसमें इस्तेमाल होने वाले बैनर और लगाए जाने वाले नारों की भी जानकारी दें। तालिबान के मंत्री जबीबुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अभी प्रदर्शन का समय और माहौल नहीं है। किसी को गलत मंशा के साथ प्रदर्शन नहीं करने दिया जाएगा। न्याय मंत्रालय से अनुमति के बगैर प्रदर्शन की इजाज़त नहीं होगी।

नई दिल्‍ली: अफगानिस्‍तान में तालिबान ने अपनी नई कैबिनेट का एलान कर दिया है। 33 सदस्‍यों की इस फेहरिस्त में प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री समेत 17 सदस्‍य आतंकी गतिविधि के कारण संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की प्रतिबंधित सूची में हैं। 20 साल बाद जिस अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ा, उसने कहा है कि उसे पता है इस सरकार के साथ कौन आएंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि चीन को तालिबान से असल समस्या है, वे तालिबान के साथ कोई समझौता कर सकते हैं। पाकिस्तान, रूस और ईरान का भी वही हाल है। हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वो अब क्या करते हैं...क्या होगा, यह देखना वास्‍तव में रोचक होगा। दरअसल, जिन देशों का नाम अमेरिका ने लिया है, उन सभी को तालिबान ने सरकार की शुरुआत के समारोह में न्यौता दिया है। चीन ने तो अफगानिस्‍तान के लिए 31 मिलियन डॉलर की आपात मदद का एलान भी कर दिया है। असल में जिन भी देशों को तालिबान की नई सरकार ने न्यौता दिया है, सबका कुछ न कुछ स्वार्थ है। तालिबान तो चाहता ही है कि ज्यादा से ज्यादा देश उसे मान्यता दें।

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