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आगरा: केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले का कहना है कि दलित वोटों पर सबसे बड़ा अधिकार रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का है, मायावती का नहीं। जिस चुनाव चिह्न हाथी से बसपा सुप्रीमो की पहचान है, वह आरपीआई का था। मायावती ने उसे छीन लिया। प्रदेश में खोई जमीन वापस लेने को कुछ लोकसभा सीटों पर आरपीआई भी चुनाव लड़ेगी।

आरपीआई के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ने सर्किट हाउस में वार्ता के दौरान कहा कि वर्ष 1967 में प्रदेश में चौ. चरण सिंह की सरकार थी। उस समय हाथी चुनाव चिह्न पर आरपीआई के 19 विधायक सत्ता में थे। वहीं चार मंत्री थे। यह चुनाव चिह्न आरपीआई का था, मगर मायावती और बसपा ने इसे छीन लिया। उत्तर प्रदेश में उनकी जमीन को कब्जा लिया है। यहां की जमीन पर उनका भी अधिकार है। इसलिए वे अपना अधिकार लेने आए हैं। एससी/एसटी ऐक्ट पर कहा कि कितनी भी कोशिश करें तो इसमें बदलाव नहीं होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने की मांग की।

 

प्रदेश में तीन से चार सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

अठावले ने कहा कि पिछले दिनों उन्होनें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। एनडीए के सदस्य के रूप में उन्होंने अवगत कराया कि यूपी की 80 सीटों में से तीन- चार सीटों उनकी पार्टी को दी जाएं, बाकी सभी सीटों पर आरपीआई भाजपा के समर्थन में काम करेगी। इससे भाजपा को फायदा मिलेगा। इसके लिए वे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मिलेंगे। यह भी कहा कि यदि सीटें नहीं मिलती हैं फिर भी उनकी पार्टी तीन से चार सीटों पर भाजपा को फायदा दिलाने के लिए चुनाव लड़ेगी।

आधी सीटों पर समझौता करें मायावती

उन्होंने मायावती को भी न्योता दिया कि यूपी में वे उनके साथ आधी-आधी सीटों पर समझौता करें। खुद भी यूपी में रहें और उन्हें भी जगह दें। केंद्रीय मंत्री ने सपा और बसपा के गठबंधन की सूचनाओं पर कहा कि बसपा के लिए यह घाटे का सौदा होगा। इसका लाभ स्वत: भाजपा को मिलेगा। अगर वे भाजपा से गठबंधन करती हैं तो एनडीए के सदस्य के रूप में आरपीआई भी उनके साथ है।

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