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गाजियाबाद: एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत में पूर्व मंत्रियों- अनंत मिश्रा और मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा समेत चार पर आरोप तय कर दिए गए। पूर्व मंत्रियों पर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का बंटवारा कर दर्जनों जिलों मे सीएमओ व डीपीओ का पद सृजित करने और मनमानी तैनाती के लिए 15 से 20 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अमितवीर सिंह की अदालत में शुक्रवार को आरोपों पर बहस हुई।

बचाव पक्ष ने सीबीआई के आरोप पत्र के आरोपों को बेबुनियाद बताया, जबकि वरिष्ठ सरकारी वकील बीके सिंह ने आरोप पत्र में लगाए आरोपों को गंभीर बताया। दोपहर बाद विशेष अदालत ने घोटाले के सभी आरोपियों पर आरोप तय करने के आदेश दिए। मिश्रा व कुशवाहा इस दौरान अदालत में मौजूद रहे। उनके साथ इस केस के दो अन्य आरोपी- दवा कारोबारी रईस आलम सिद्दीकी उर्फ गुड्ड खान और महेंद्र नाथ पांडेय भी हाजिर हुए। यह मामला वर्ष 2007 से 2011 का है। इस अवधि में दोनों प्रदेश सरकार में मंत्री थे।

दोनों पूर्व मंत्रियों पर लखनऊ के दवा कारोबारियों से रुपये लेकर कई जिलों में मनमर्जी के अधिकारियों की तैनाती कराने का आरोप है। इन अधिकारियों से साठगांठ कर एनआरएचएम योजना की धनराशि से दवा कारोबारियों ने दवा व उपकरणों की खरीदारी में गड़बड़ी कर सरकारी राजस्व को चूना लगाया। अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 सितंबर तय की है।

14 अक्तूबर 2016 को आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था

सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा उर्फ अंटू मिश्रा के खिलाफ दूसरे आरोप पत्र पर 14 अक्तूबर 2016 को संज्ञान लिया था। उसी दिन अदालत ने दोनों पूर्व मंत्रियों समेत पांच आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के आदेश दिए थे। इनमें अनंत मिश्रा, बाबू सिंह कुशवाहा, देवरिया के पूर्व विधायक आरपी जायसवाल, दो दवा कारोबारियों- रईस आलम सिद्दीकी उर्फ गुड्डु खान और महेंद्र पांडेय (दोनों लखनऊ) के नाम हैं। पूर्व विधायक आरपी जायसवाल की कुछ वर्ष पूर्व मौत हो गई।

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