नोएडा/गाजियाबाद: सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को आय से अधिक संपत्ति मामले में यादव सिंह और उनके परिवार के चार सदस्यों पर आरोप तय कर दिए। आरोपियों में पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह के साथ जेल में बंद उनका बेटा सन्नी, पुत्रवधू श्रेष्ठा सिंह, दोनों बेटियां गरिमा भूषण, करुर्णा सिंह शामिल हैं। सीबीआई ने उनकी तीन कंपनियां और एक ट्रस्ट को भी आरोपी बनाया है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अमितवीर सिंह की अदालत में इस मामले में सुनवाई हुई।
विशेष अदालत ने पहले मुख्य आरोपी नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह और उनके परिवार के सदस्यों की ओर से डिस्चार्ज प्रार्थनापत्र को खारिज करने के आदेश दिए। वरिष्ठ लोक अभियोजक बीके सिंह ने बताया कि अदालत ने यादव सिंह परिवार के डिस्चार्ज प्रार्थनापत्र को खारिज करने के साथ ही सभी पांच आरोपियों और उनकी तीन फर्म एवं एक ट्रस्ट पर आरोप तय करने के आदेश दिए। अदालत ने अगली तारीख 12 सितंबर तय की है। उस दिन यादव सिंह के सीए और सरकारी गवाह मोहन लाल राठी के बयान दर्ज होंगे।
अदालत ने कुसुमलता की फाइल अलग की
सीबीआई ने इस मामले में यादव सिंह की पत्नी कुसुम लता को भी आरोपी बनाया है। लेकिन कोर्ट वारंट और भगौड़ा घोषित करने के बाद भी न तो वह कोर्ट में हाजिर हुईं न ही सीबीआई गिरफ्तार कर पाई इसलिए विशेष अदालत ने कुसुम लता की फाइल अलग कर दी।
23 करोड़ की अघोषित संपत्ति
सीबीआई इंस्पेक्टर मुकेश वर्मा ने बताया कि आरोप पत्र के मुताबिक विवेचना में साल 2004 से 2015 तक की अवधि की जांच की गई। इस दौरान यादव सिंह और उनके परिवार की कुल आय सभी स्त्रोतों को मिलाकर 4 करोड़ 51 लाख 64 हजार 232 रुपये आंकी गई। वहीं विवेचना के दौरान नोएडा एवं ग्रेनो के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह और परिवार के अघोषित संपतियों में 23 करोड़ 15 लाख 41 हजार 514 रुपये की संपत्ति पकड़ में आई, जो आय से 512 फीसदी अधिक है।
जेई से इंजीनियर इन चीफ तक पहुंचे
नोएडा प्राधिकरण में जेई के पद से नौकरी की शुरुआत करने वाले यादव सिंह नोएडा, ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण तीनों के इंजीनियर इन चीफ तक पहुंच गए थे। हालांकि, वह वरिष्ठ परियोजना अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए। सुप्रीम कोर्ट ने करीब पौने दो साल पहले प्रमोशन में आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया था। इस कारण यादव सिंह का भी पद घट गया था।
बहुत कम समय में अमीर बने
मूलरूप से आगरा निवासी यादव सिंह 17 मार्च 1980 को नोएडा प्राधिकरण में जेई (इलेक्ट्रीकल एंड मैकेनिकल) नियुक्त हुए थे। करीब 350 रुपये महीने की तनख्वाह से नौकरी की शुरुआत करने वाले यादव सिंह की इस समय तनख्वाह करीब 80 हजार थी। बहुत कम समय में यादव सिंह अमीर लोगों की फेहरिस्त में शामिल हो गए थे।
बिना डिग्री परियोजना अभियंता बने
डिप्लोमाधारक यादव सिंह बिना डिग्री के वर्ष 1995 में परियोजना अभियंता बन गए। उनको 1989 में सहायक परियोजना अभियंता बनाया। बिना डिग्री के परियोजना अभियंता नहीं बनाया जा सकता लेकिन उस समय इस नियम को नजरअंदाज किया गया।