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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण के लिये विजन डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट दाखिल करने पर उत्तर प्रदेश सरकार को बुधवार को आड़े हाथ लिया और जानना चाहा कि क्या शीर्ष अदालत को इसका अध्ययन करना है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगायी और इस मामले के प्रति उसकी गंभीरता पर सवाल भी किये। पीठ ने उप्र सरकार के वकील से सवाल किया, 'आपने योजना का ड्राफ्ट क्यों दिया है ? क्या हमें आपके लिये इसकी जांच करनी है ? क्या इसकी जांच करना हमारा काम है? शीर्ष अदालत ने कहा कि आश्चर्य है कि विजन डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट तैयार करते समय इस विश्व धरोहर के संरक्षण के लिये जिम्मेदार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से कोई परामर्श नहीं किया गया।

सुनवाई के दौरान पीठ ने अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से जानना चाहा कि क्या केन्द्र या संबंधित प्राधिकारियों ने ताजमहल के प्रबंधन के बारे में योजना पेरिस स्थित यूनेस्को के विश्व धरोहर केन्द्र को सौंपी है।

पीठ ने कहा, 'उस स्थिति में क्या होगा, यदि यूनेस्को यह कह दे कि हम ताज महल का विश्व धरोहर का दर्जा वापस ले लेंगे? इस सवाल के जवाब में अटार्नी जनरल ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है और यदि इस ऐतिहासिक स्मारक का विश्व धरोहर का दर्जा वापस लिया जाता है तो यह देश के लिये बहुत ही शर्मिन्दगी वाली बात होगी।

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