नई दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का असर अब हरियाणा की राजनीति में देखने को मिला है, चहलकदमी का दौर तेज हो चला है। तमाम तरह की कयासों के बीच दुष्यंत चौटाला ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। करीब एक घंटे चली मुलाकात के बाद चौटाला बिना मीडिया से संवाद किए चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गए। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बैठक में वह कृषि कानून और किसानों को लेकर चर्चा हुई। इसके अलावा वह टेक्सटाइल हब, एयरपोर्ट, ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर, रेल मार्गों पर भी बात की। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं।
चौटाला हरियाणा में भाजपा नीत सरकार में गठबंधन साझेदार जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जजपा के कुछ विधायक प्रदर्शनकारी किसानों के दबाव में हैं। बता दें कि सोमवार को इनेलो प्रमुख अभय चौटाला ने एक चिट्ठी लिखकर खट्टर सरकार का विरोध किया था और कहा था कि अगर 26 जनवरी तक किसानों की बात नहीं मानी जाती है तो उनकी इस चिट्ठी को ही इस्तीफा माना जाए।
उसके बाद से ही हरियाणा में सियासी चहलकदमी तेज देखी जा रही है। अभय चौटाला ने अपने पत्र में कहा था कि वो ऐसी संवेदनहीन विधानसभा में नहीं रहना चाहते है।
हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार की राह आसान नहीं है। जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर दुष्यंत चौटाला ने इस मुद्दे पर सख्त रुख नहीं अपनाया, तो कई विधायक उनके खिलाफ जा सकते हैं। क्योंकि जजपा को ग्रामीण क्षेत्रों से समर्थन मिला था। ऐसे में सरकार में बने रहने के लिए दुष्यंत चौटाला किसानों के हितों की अनदेखी करते हैं, तो उन्हें अपने विधायकों को एकजुट रखना मु्श्किल होगा।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जजपा के कुछ विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ रुख अपनाते हैं, तो निर्दलीय विधायक भी पाला बदल सकते हैं। हरियाणा में मनोहर लाल सरकार को जजपा के 10 और सात निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है।
अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र्र सिंह हुड्डा पहले ही राज्य सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का एलान कर चुके हैं। कांग्रेस का मानना है कि दुष्यंत चौटाला सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे, ऐसे में उनके विधायक बगावत का रास्ता अपना सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव इसी रणनीति का हिस्सा है, ताकि किसानों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके।