(हर्षदेव) मुहम्मद अली सचमुच बेमिसाल शख्स थे -- जबरदस्त उत्साही, जोशीले , निडर और आत्मसम्मान की भावना से ओतप्रोत. दो फरवरी 1980 को ताजमहल देखने के लिए आगरा आने पर उनके साथ हुई चंद मिनट की बातचीत में ही अली ने दिखा दिया कि वह बातों में भले ही शेखी बघारते हों, लेकिन सोच के स्तर पर वह बेहद गभीर और अपने कर्तव्य के प्रति बहुत सजग हैं. वह राष्ट्रपति रीगन के कहने पर आगरा का अपना दौरा अधूरा छोड़कर अफ़्रीकी लोगों को सन्देश देने के लिए तंजानिया रवाना हो गए थे. यह भी याद रखिये कि इसी अली ने वियतनाम युद्ध के विरोध में सेना में भरती होने से इंकार कर दिया था और इसको लेकर उन पर मुकदमा भी चला. उनका ख़िताब तक छीन लिया गया. यहाँ उनसे साक्षत्कार के अंश पेश हैं जो 'अमर उजाला' के अलावा 24 फरवरी 1980 के 'धर्मयुग' में भी छपा था कुछ बदलाव के साथ पुनः प्रस्तुत है;- अपनी ‘यादोंभरी’ यात्रा को अधूरा छोड़कर अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर के आदेश पर तंजानिया रवाना होने से पूर्व महान, मुहम्मद अली कुछ घंटे के लिए आगरा आए। यहां उन्होंने ‘कल्पना से भी अधिक खूबसूरत’ ताजमहल देखा और अपने इर्दगिर्द एकत्र हो जाने वाली भीड़ से अपने खास बड़बोले अंदाज में कहा, ‘क्या मैं किसी चिड़ियाघर से लाया गया जानवर हूं, या मैं बहुत घिनौना हूं, तुम लोग मुझे इस तरह घूर-घूरकर क्यों देखते हो?’...... अली ने कहा, ‘भारत का दौरा अधूरा छोड़ने का मुझे बड़ा भारी दुःख है ,लेकिन मेरे राष्ट्रपति ने मुझे काम सौंपा है और उसको पूरा करना मेरा पहला कर्तव्य है।’...
‘भारत में आपका कैसा अनुभव हुआ? यहां के लोगों ने आपका कैसा स्वागत किया? के उत्तर में अली ने कहा, ‘भारत के लोगों का प्यार मैं कभी भूल न सकूंगा। मैं जा रहा हूं, तो फिर भी आ सकता हूं।’ प्रस्तुत हैं, उनसे बातचीत के कुछ अंश... क्या आपको आशा है कि आप इस मिशन में सफलता प्राप्त कर सकेंगे? राष्ट्रपति कार्टर को विश्वास है कि मैं अफ्रीकी लोगों को अमेरिकी दृष्टिकोण समझाने में अधिक सक्षम हो सकता हूं। सफलता-असफलता के बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मैं बस यही सोचता हूं कि मुझे अपने उद्देश्य में सफलता मिले। ..... भारत भ्रमण के अपने अनुभव बताते हुए अली ने कहा, मेरी भारत यात्रा न भुलाई जाने वाली यादों से भरी है। मैंने ऐसी धार्मिक आजादी वाला दूसरा देश अभी तक नहीं देखा। यहां लोगों को मिली हुई आजादी बेमिसाल है। स्नेह से भरे लोगों का यह देश अनूठा है।’ क्या अश्वेत और गरीब लोगों के कल्याण के लिए चलाया गया आपका मिशन सफल हो सकेगा? दुनिया के राजनीतिक नेता आपकी बातों पर गौर करेंगे? मैं मुसलमान हूं और खुदा पर पूरा भरोसा करता हूं, उसी से यह प्रार्थना करता हूँ कि वह इंसान की भलाई के मेरे इस मिशन में मेरा मार्गदर्शन करे और मुझे सफलता प्रदान करे। मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि राजनीतिक नेता मेरे कथन पर गौर करेंगे या नहीं। मैं तो गरीबों को उनके अधिकार का अहसास कराने तथा खोयी हुई चेतना जगाने के काम में लगा हूं। मुझे उम्मीद है कि अपने इस मिशन में सफलता नहीं, तो असफलता भी नहीं मिलेगी। (साभार फेसबुक से)