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(आशु सक्सेना) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी भाषण सुनकर अब ऐसा एहसास होता है कि वह खुद की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की आलोचना कर रहे है। पंजाब विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक मोदी ने सूबे की गठबंधन सरकार के पक्ष में मतदान की अपील करते हुए अपने चित परिचित अंदाज में कांग्रेस पर निशाना साधा। अपने भाषण में मोदी ने उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के गठबंधन का ज़िक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस सत्ता के लिए बिन पानी की मछली की तरह तडप रही है। सत्ता की खातिर कांग्रेस किसी के साथ भी हाथ मिलाने को तैयाार है। भाजपा के स्टार प्रचारक मोदी का यह वाक्य सुनते ही एकाएक पड़ौसी राज्य जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का एक चुनावी भाषण याद आ गया। मोदी ने कहा था कि प्रदेश में बाप-बेटी की सरकार नही बनने देनी है। लेकिन प्रदेश के खंड़ित जनादेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजबूर कर दिया कि वह बाप-बेटी से हाथ मिलाकर ही जम्मू-कश्मीर में सत्तासुख भोग सकते हैं। मोदी के चुनावी भाषणों की समीक्षा करते वक्त महाराष्ट्र का ज़िक्र करना भी ज़रूरी है। इस प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एकला चलो की नीति अपनाई थी। यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था। मोदी ने अपने चुनावी भाषण में अपने पुराने सहयोगी शिवसेना पर तंज कसते हुए कहा था कि प्रदेश को हफ्ताबसूल पार्टी से भी मुक्ति दिलानी है। प्रदेश के खंड़ित जनादेश के चलते सत्ता की बागड़ोर तो भाजपा के पास आ गई। लेकिन अभूतपूर्व राजनीतिक घटनाक्रम के बाद भाजपा को उसी हफ्ताबसूल पार्टी शिवसेना के साथ सत्तासुख मिल रहा है।

इतना ही नही मोदी सरकार की लगातार आलोचनाओं के बावजूद शिवसेना का केंद्र सरकार में प्रतिनिधित्व बरकरार है। जबकि महाराष्ट्र के नगर निगम चुनाव में दोनों सत्तारूढ़ दल एक दूसरे के सामने ताल ठोक रहे हैं। बहरहाल अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की चिंता पर भी नज़र डाली जाए। इस सूबे में सपा कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा की चुनावी रणनीति को करारा झटका दिया है। मोदी लहर में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा (71) ने अपने घटक अपनादल (2) के साथ 73 सीटों पर कब्जा किया था। इस चुनाव में भाजपा गठबंधन को धर्म निरपेक्ष मतों के विभाजन का काफी फायदा हुआ था। लोकसभा चुनाव सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी ने अपने अपने बूते पर लड़ा था। इसके अलावा कौमी एकता पार्टी ने भी पूर्वांचल की लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ें किये थे। इन हालात में धर्म निरपेक्ष मतों का बिखराव लाजमी था। जिससे मोदी लहर में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता मिली। प्रदेश में 61 सीटों की छलांग के साथ भाजपा 71 सांसदों वाली पार्टी बन गई। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने न सिर्फ बसपा, कांग्रेस और सपा समेत अन्य किसी भी दल से पार्टी में शामिल होने वालों को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। बल्कि पिछड़ों में जनाधार रखने वाले राजभर की एक नई पार्टी से भी गठबंधन किया है। जाहिरातौर पर पार्टी के इस फैसले से भाजपा के अधिकांश स्थानीय नेता नाराज हैं और पार्टी को भीतरघात से काफी नुकसान नज़र आ रहा है। वहीं अब सपा कांग्रेस गठबंधन ने धर्म निरपेक्ष मतों को काफी हद तक एकजुट रखने का रास्ता साफ कर दिया है। इसके बावजूद बसपा की मजबूत मौजूदगी धर्म निरपेक्ष मतों के बिखराव की आशंका को अभी भी बल दे रही है। बसपा प्रमुख पूर्वांचल में जनाधार रखने वाली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता पार्टी का बसपा में विलय कर लिया और अंसारी परिवार को 3 विधानसभा सीट दे दी हैं। प्रधानमंत्री मोदी की चिंता यह है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोकसभा चुनाव नतीजों ने उन्हें केंद्र में पहली बार पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार बनाने को मौका दिया था। धर्म निरपेक्ष मतों की एकजुटता के चलते वह बिहार विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना कर चुके हैं। अब सपा कांग्रेस गठबंधन के बाद उत्तर प्रदेश में भी उनके सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। मोदी की सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा के चुनाव में नोटबंदी के फैसले पर जनाधार हासिल करना है। पिछले करीब पौने तीन साल के कार्यकाल में नोटबंदी मोदी सरकार का ऐसा फैसला है, जिससे समाज का हर वर्ग प्रभावित हुआ है। इसके अलावा मोदी सरकार अपनी अन्य किसी उपलब्धि को महिमामंड़ीत नही कर सकती। मोदी का चुनाव प्रचार भ्रष्टाचार के इर्दगिर्द सीमित रहेगा, जबकि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन का मास्टर स्ट्रोक मारने के बाद विकास को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। निसंदेह अगर कानून व्यवस्था के मुद्दे को छोड़ दिया जाए, तो अखिलेश यादव सरकार के कामकाज पर उंगली नही उठाई जा सकती। देखना यह है कि उत्तर प्रदेश में चुनावी सेमी फाइनल जीत कर मोदी फाइनल में प्रवेश करेंगे या फिर सेमी फाइनल हार कर 2019 के फाइनल से बाहर हो जाएंगे।

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