ताज़ा खबरें
किसान आंदोलन: एसकेएम नेता डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत मे लिया
कन्नौज में एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना, सैफई में तैनात पांच डॉक्टरों की मौत
संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना
दिल्ली-यूपी में बढ़ी ठंड, हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी; तमिलनाडु में तूफान

नई दिल्ली: भारत के सबसे अमीर उद्यमी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी का वार्षिक वेतन पैकेज लगातार 11वें साल 15 करोड़ रुपये के स्तर पर बना रहा। कंपनी से मिलने वाली अंबानी की वार्षिक परिलब्धियां वर्ष 2008-09 से स्थिर हैं। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार ''चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी की कुल परिलब्धियां वार्षिक 15 करोड़ रुपये के स्तर पर बरकरार रखी गयी हैं। यह कंपनी में प्रबंधकीय स्तर की परिलब्धियों को संतुलित रखने के विषय में स्वयं एक उदाहरण प्रस्तुत करते रहने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।

इसी दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज में अंबानी के सभी पूर्णकालिक निदेशकों के मानदेय में अच्छी वृद्धि दर्ज की गयी है जिनमें उनके निकट संबंधी निखिल और हीतल मेसानी भी हैं। मुकेश अंबानी के वित्त वर्ष 2018-19 की परिलब्धियों में 4.45 करोड़ रुपये वेतन एवं भत्ते के रूप में दिए गए। उनका वेतन एवं भत्ता 2017-18 में 4.49 करोड़ रुपये रहा था। अंबानी ने स्वेच्छा से अपनी परिलब्धियां स्थिर रखने की अक्टूबर 2009 में घोषणा की थी।

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों से मुलाकात की। उन्होंने बैंकों से नीतिगत दर में कटौती का फायदा तेजी से ग्राहकों तक पहुंचाने की अपनी चिंता दोहराई। दास ने "बैंकिंग क्षेत्र में परिलक्षित सुधार को स्वीकार करते हुए कहा कि अब भी बहुत सी चुनौतियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना है। इनमें फंसी परिसंपत्तियों का समाधान और जरूरतमंद क्षेत्रों के लिए कर्ज प्रवाह प्रमुख है।"

केंद्रीय बैंक ने वक्तव्य में कहा, "अर्थव्यवस्था में सुस्ती और जरूरतमंद क्षेत्रों के लिए कर्ज की आवश्यकता के बीच बैठक के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें नीतिगत दरों की कटौती का फायदा ग्राहकों को वांछित स्तर से कम पहुंचाना, बैंक कर्ज और जमा में वृद्धि शामिल हैं। इसके अलावा जोखिम मूल्यांकन की मजबूत व्यवस्था और निगरानी मानकों पर भी बातचीत हुई।"

चेन्नई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि वह इस बार बजट प्रस्तुत करने के दिन चमड़े के सूटकेस की जगह लाल रंग के कपड़े का बस्ता यह संदेश देने के लिए लेकर गयी थीं कि नरेंद्र मोदी सरकार में 'सूटकेसों के आदान-प्रदान' की संस्कृति नहीं चलती है। वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद पहली बार चेन्नई आयीं सीतारमण ने शहर में नागरतार चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों को संबोधित किया। यह उद्योग मंडल एक अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक सम्मेलन कर रहा है। वित्त मंत्री ने नागरतार समुदाय की व्यापार पद्धतियों को लेकर सराहना की। उन्होंने कहा कि बजट के दिन उनका चमड़े का सूटकेस लेकर नहीं जाना खबर बन गया।

उल्लेखनीय है कि पांच जुलाई को चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करने से पहले सीतारमण चमड़े की सूटकेस की जगह लाल रंग का बस्ता लिए नजर आईं। उनकी यह तस्वीर विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर छा गयी।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2019-20 के आम बजट में कर प्रावधानों का मकसद जीवनस्तर एवं उसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाना, लोगों की परेशानियों को कम करना तथा न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम सुशासन को सुनिश्चित करना है। वित्त मंत्री ने लोकसभा में वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। इसके साथ ही सदन ने आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, बीजद के भतृहरि महताब के संशोधनों को खारिज करते हुए वित्त (संख्यांक 2) विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी।

वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट 2019-20 का मकसद व्यापार सुगमता, युवा उद्यमियों और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का इरादा भारत को दुनिया का बहुत बड़ा वित्तीय हब बनने का है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का मकसद डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है। डिजिटल भुगतान से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में अधिक पारदर्शिता आएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कर कानूनों के सरलीकरण के लिए नयी कर संहिता को अंतिम रूप देने के मकसद से एक कार्यबल काम कर रहा है। इसकी रिपोर्ट 31 जुलाई तक आयेगी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख