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चेन्नई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि वह इस बार बजट प्रस्तुत करने के दिन चमड़े के सूटकेस की जगह लाल रंग के कपड़े का बस्ता यह संदेश देने के लिए लेकर गयी थीं कि नरेंद्र मोदी सरकार में 'सूटकेसों के आदान-प्रदान' की संस्कृति नहीं चलती है। वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद पहली बार चेन्नई आयीं सीतारमण ने शहर में नागरतार चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों को संबोधित किया। यह उद्योग मंडल एक अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक सम्मेलन कर रहा है। वित्त मंत्री ने नागरतार समुदाय की व्यापार पद्धतियों को लेकर सराहना की। उन्होंने कहा कि बजट के दिन उनका चमड़े का सूटकेस लेकर नहीं जाना खबर बन गया।

उल्लेखनीय है कि पांच जुलाई को चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करने से पहले सीतारमण चमड़े की सूटकेस की जगह लाल रंग का बस्ता लिए नजर आईं। उनकी यह तस्वीर विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर छा गयी।

उन्होंने कहा, 'चमड़े का बैग लेकर नहीं जाना खबर बन गया। उसमें कुछ भी नहीं है...यह एक संकेत है। यह एक छोटा सा संदेश है। जब भी मैं सूटकेस के बारे में सोचती हूं तो मेरे दिमाग में कुछ और चीजें आती हैं। हमारी सरकार सूटकेसों के आदान-प्रदान में शामिल नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'इन्हीं कारणों से वह सूटकेस लेकर नहीं गयीं। इस सरकार में सूटकेस लेकर चलने की कोई जरूरत नहीं। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इस सरकार ने निविदा प्रणाली का विस्तार किया है।'

सीतारमण ने कहा, 'मैंने (बजट पत्रों के) उस बस्ते को फाइल की तरह लेकर गयी थी। यह भी विवाद का विषय बन गया कि मैंने इसलिए सूटकेस नहीं लिया क्योंकि वह चमड़े का बना होता है। ...नहीं श्रीमान,.. मैंने इतना नहीं सोचा था।'

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