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संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। उसने 2019 में ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़ दिया। अमेरिका का शोध संस्थान वर्ल्ड पोपुलेशन रिव्यू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आत्म निर्भर बनने की पूर्व की नीति से भारत अब आगे बढ़ते हुए एक खुली बाजार वाली अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मामले में भारत 2940 अरब डॉलर के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। इस मामले में उसने 2019 में ब्रिटेन तथा फ्रांस को पीछे छोड़ दिया।

ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार 2830 अरब डॉलर है जबकि फ्रांस का 2710 अरब डॉलर है। क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर भारत का जीडीपी 10,510 अरब डॉलर है और यह जापान तथा जर्मनी से आगे है। भारत में अधिक आबादी के कारण प्रति व्यक्ति जीडीपी 2170 डॉलर है। यह अमेरिका में प्रति व्यक्ति 62,794 डॉलर है। हालांकि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर लगातार तीसरी तिमाही में कमजोर रह सकती है और 7.5 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत पर आ सकती है।

नई दिल्ली: वोडाफोन आइडिया और टाटा समूह ने सोमवार को सरकार को बकायों में से कुछ पैसे का भुगतान किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, वोडाफोन आइडिया ने 2,500 करोड़ रुपये और टाटा समूह ने 2,190 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने दूरसंचार कंपनियों पर सकल समायोजित आय (एजीआर) के बकाए की वसूली को लेकर के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इस सख्ती के बीच भारती एयरटेल ने सोमवार को सांविधिक बकाया मदद में दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

कंपनी ने कहा कि वह स्व-आकलन के बाद बचे पैसे का भुगतान करेगी। सुनील मित्तल की अगुवाई वाली कंपनी ने दूरसंचार विभाग को दिये पत्र में कहा, 'भारती एयरटेल, भारतीय हेक्साकॉम और टेलीनोर की तरफ से 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।' बता दें कंपनियों ने एजीआर वैधानिक बकाए का भुगतान करने के लिए दो साल की रोक के साथ 10 साल का समय देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर में सरकार द्वारा दूरंसचार कंपनियों से उन्हें प्राप्त होने वाले राजस्व पर मांगे गए शुल्क को जायज ठहराया था।

नई दिल्ली: लगातार दूसरे महीना सब्जियां, दालें और मांस, मछली जैसे खाने-पीने के सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 7.59 प्रतिशत पर पहुंच गई। खुदरा मुद्रास्फीति का यह साढ़े पांच साल का उच्च स्तर है। इससे पहले मई 2014 में यह 8.33% थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में 7.35% रही थी और पिछले साल जनवरी महीने में यह 1.97 प्रतिशत थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति में यदि खाद्य मुद्रास्फीति की बात की जाए तो जनवरी, 2020 में यह 13.63% रही, जबकि एक महीने पहले दिसंबर, 2019 में यह 14.19% थी। हालांकि, जनवरी 2019 में इसमें 2.24% की गिरावट दर्ज की गई थी। सब्जियों के मामले में महंगाई दर सालाना आधार पर इस साल जनवरी में उछलकर 50.19 प्रतिशत हो गई जबकि दलहन और उससे बने उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 16.71 प्रतिशत रही।

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 'प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020 में बदलाव करने को मंजूरी दे दी। इस बदलाव का उद्देश्य विधेयक का दायरा बढ़ाकर उन मुकदमों को शामिल करना है जो विभिन्न कर्ज वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) में लंबित हैं। प्रत्यक्ष कर से जुड़े कानूनी विवादों में कमी लाने के इरादे से यह विधेयक इस महीने की शुरूआत में लोकसभा में पेश किया गया। इसमें आयुक्त (अपील) स्तर पर, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों (आईटीएटी), उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में लंबित कर विवादों को शामिल करने का प्रस्ताव है।

मंत्रिमंडल की बैठक में किए गए फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि डीआरटी में लंबित मामलों को भी अब इसमें शामिल करने का निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्राधिकरणों और न्यायालयों में 9 लाख करेाड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर मामले लंबित हैं।

तीन जनरल बीमा कंपनियों को 2,500 करोड़ रुपये

मंत्री ने उम्मीद जताई कि लोग योजना का लाभ उठाएंगे और 31 मार्च 2020 से पहले कर विवाद का समाधान करेंगे। ऐसा नहीं होने पर उन्हें अगले वित्त वर्ष में विवादों के निपटान के लिये 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

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