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सोल: अमेरिका के एक राजदूत ने आज कहा है कि इस साल उत्तर कोरिया द्वारा अंजाम दिए गए भड़काउ कृत्यों की ‘अभूतपूर्व’ सीरीज के बाद चीन को उसपर प्रतिबंध लगाने की राह में आने वाली खामियों को दूर करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद करनी चाहिए। उत्तर कोरिया नीति के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय में विशेष प्रतिनिधि संग किम ने कहा कि वर्ष 2016 में अब तक दो परमाणु परीक्षणों और 20 से ज्यादा मिसाइल परीक्षणों के साथ ही उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन एक नए निचले स्तर तक पहुंच गए हैं। किम ने अपनी दो दिवसीय सोल यात्रा के दौरान कहा, ‘उत्तर कोरिया ने एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धताओं और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के प्रति अपमानजनक और उपेक्षापूर्ण रवैया दिखाया है।’ उन्होंने अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष किम होंग-क्यूं से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘यह अभूतपूर्व है। यहां तक कि उत्तर कोरिया के मानकों के आधार पर भी।’ जनवरी में प्योंगयांग के चौथे परमाणु परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए थे। इसमें उत्तर कोरिया के खनिजों के व्यापार को निशाना बनाया गया था और बैंकिंग के प्रतिबंधों को कड़ा किया गया था। लेकिन उसके बाद से उत्तर कोरिया ने कई रॉकेट प्रक्षेपण किए हैं। उसने शुक्रवार को अपना अब तक का सबसे बड़ा परमाणु बम विस्फोट किया था। सुरक्षा परिषद नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।
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ओसान एयरबेस (दक्षिण कोरिया): अमेरिका ने परमाणु क्षमता से संपन्न सुपरसोनिक बमवर्षक विमानों को अपने सहयोगी दक्षिण कोरिया की ओर रवाना कर दिया है। अमेरिका का यह कदम उत्तर कोरिया के हालिया परमाणु परीक्षण के बाद उसे भयभीत करने और दक्षिण कोरिया को आश्वास्त करने के लिए किए जा रहे शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा है। समाचार एजेंसी एपी के एक फोटोग्राफर ने बी-1बी बमवषर्क विमानों को ओसान एयरबेस के उपर से जाते हुए देखा। इनके साथ अमेरिकी एवं दक्षिण कोरियाई लड़ाकू विमान भी थे। यह एयरबेस उत्तर कोरिया की सीमा से 120 किलोमीटर दूर दक्षिण कोरिया में है। यह सीमा दुनिया में सबसे ज्यादा हथियारों की तैनाती वाली सीमा है। बमवषर्कों के दक्षिण कोरिया में उतरने के बजाए गुआम स्थित एंडेरसन एयरफोर्स बेस पर लौटने की संभावना है। जब हालात कहीं अधिक कटु हो जाते हैं तब कोरियाई प्रायद्वीप में इस तरह की उड़ानें आम हैं। तकनीकी तौर पर यह प्रायद्वीप युद्धरत है क्योंकि 1950-53 के कोरियाई युद्ध को खत्म करने के लिए कभी भी शांति संधि नहीं हुई है।
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वाशिंगटन: पेंटागन ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि पिछले माह उत्तर सीरिया में अमेरिका के हवाई हमले में इस्लामिक स्टेट का नेता और प्रवक्ता अबु मोहम्मद अल-अदनानी मारा गया था। पेंटागन के प्रेस सचिव पीटर कुक ने कल कहा, ‘सीरिया के अल बाब के पास हुए हमले में आईएसआईएल का प्रमुख प्रचारक जो आतंकियों की भर्ती करता था और बाहरी देशों में आतंकी गतिविधियों की रूपरेखा तय करता था उसकी मौत हो गई है।’ उन्होंने कहा, ‘यह हमला आईएसआईएल के नेताओं के खिलाफ किए गए सफल हमलों की श्रृंखला का हिस्सा था। इन नेताओं में वे लोग भी शामिल हैं, जो समूह के वित्तपोषण और सैन्य नियोजन का काम देख रहे थे। इस कारण समूह के लिए संचालन मुश्किल हो गया है।’ बीती 30 अगस्त का यह हवाई हमला ड्रोन प्रीडेटर से किया गया था। इस ड्रोन ने उस कार पर हेलफायर मिसाइल दागी थी, जिसमें अदनानी सफर कर रहा था। अधिकारियों का कहना है कि अदनानी आईएस का मुख्य प्रवक्ता था और उसने बीते एक साल में इस समूह द्वारा किए गए सबसे ज्यादा भीषण हमलों में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इन हमलों में पेरिस, ब्रसेल्स, इस्तांबुल, बांग्लादेश में किए गए हमले, सिनाई में रूसी विमान को मार गिराना और अंकारा में एक रैली में आत्मघाती विस्फोट शामिल हैं। अदनानी पर हमले के कुछ समय बाद रूस ने दावा किया था कि अदनानी को उसने मारा है।
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कराची: बलोच मानवाधिकार संगठन ने रविवार को कराची में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन तुरबत में बलोच नेता रऊफ बलोच के घर की घेराबंदी किए जाने के खिलाफ किया गया। गौरतलब है कि पाक आर्मी ने तुरबत (बलूचिस्तान) में लीडर रऊफ बलोच के घर की घेराबंदी कर रखी है। इसे हटाने के लिए महिलाओं ने कराची में बैनर-पोस्टर लेकर मार्च निकाला। शनिवार को यूएन ह्यूमन राइट्स काउंसिल में बलूच रिप्रेजेंटेटिव अब्दुल नवाज बुगती ने रऊफ बलोच के घर की घेराबंदी का जिक्र किया था। यही नहीं, बलोचिस्तान के लोग दुनिया भर में पाकिस्तानी के अत्याचारों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को दक्षिण कोरिया के शहर बुसान में पाकिस्तान के अत्याचारों के किलाफ बलोच रिपब्लिकन पार्टी ने धरना-प्रदर्शन किया। बलूचिस्तान को भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से चिंता का महत्वपूर्ण कारण बताते हुए केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने शऩिवार को कहा कि पाकिस्तान को बलूचिस्तान में ‘अभियानगत अत्याचार’ बंद करना चाहिए। उन्होंने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, ‘बलूचिस्तान भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से चिंता का महत्वपूर्ण कारण है।’ वह बलूचिस्तान के लोगों पर पाकिस्तान द्वारा किये जा रहे अत्याचारों को लेकर पूछे गये एक सवाल का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने कहा, ‘आप अपने पड़ोस को जलने नहीं दे सकते क्योंकि देर-सबेर इसका असर आप पर होगा। आप घर में स्वर्ग बनाकर बाहर नर्क जैसी स्थिति नहीं छोड़ सकते।’
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