सोल: अमेरिका के एक राजदूत ने आज कहा है कि इस साल उत्तर कोरिया द्वारा अंजाम दिए गए भड़काउ कृत्यों की ‘अभूतपूर्व’ सीरीज के बाद चीन को उसपर प्रतिबंध लगाने की राह में आने वाली खामियों को दूर करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद करनी चाहिए। उत्तर कोरिया नीति के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय में विशेष प्रतिनिधि संग किम ने कहा कि वर्ष 2016 में अब तक दो परमाणु परीक्षणों और 20 से ज्यादा मिसाइल परीक्षणों के साथ ही उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन एक नए निचले स्तर तक पहुंच गए हैं। किम ने अपनी दो दिवसीय सोल यात्रा के दौरान कहा, ‘उत्तर कोरिया ने एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धताओं और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के प्रति अपमानजनक और उपेक्षापूर्ण रवैया दिखाया है।’ उन्होंने अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष किम होंग-क्यूं से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘यह अभूतपूर्व है। यहां तक कि उत्तर कोरिया के मानकों के आधार पर भी।’ जनवरी में प्योंगयांग के चौथे परमाणु परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए थे। इसमें उत्तर कोरिया के खनिजों के व्यापार को निशाना बनाया गया था और बैंकिंग के प्रतिबंधों को कड़ा किया गया था। लेकिन उसके बाद से उत्तर कोरिया ने कई रॉकेट प्रक्षेपण किए हैं। उसने शुक्रवार को अपना अब तक का सबसे बड़ा परमाणु बम विस्फोट किया था। सुरक्षा परिषद नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।
लेकिन वर्ष 2006 में इसके पहले परमाणु परीक्षण के बाद से संयुक्त राष्ट्र द्वारा पांच बार लगाए गए प्रतिबंध उत्तर कोरिया को रोकने में नाकाम रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस कूटनीति में लगा हुआ है कि चीन को उसकी स्थिति का इस्तेमाल करने के लिए राजी किया जाए। किम ने कहा कि चीन प्योंगयांग का एकमात्र सहयोगी और सबसे बड़ा संरक्षक है। उसे उत्तर कोरिया को उसकी अवैध एवं खतरनाक गतिविधियों के गंभीर परिणाम दिखाने में एक अहम भूमिका निभानी है। बीजिंग ने कहा है कि वह परीक्षणों के खिलाफ है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि वह अपने हाथ इसलिए पीछे खींच रहा है क्योंकि वह ऐसी किसी भी चीज से बचना चाहता है, जो मौजूदा स्थिति को खतरे में डाले और कोरियाई प्रायद्वीप पर शक्ति समीकरण को बदलकर अमेरिका के पक्ष में कर दे। उन्होंने कहा, ‘हालिया प्रतिबंधों में मौजूद किसी भी खामी को दूर करने के लिए हम बीजिंग के साथ मिलकर काम करने का इंतजार कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों से तत्काल सफलता नहीं मिलेगी। ‘जिस तरह का परिणाम हम चाहते हैं, उसके लिए सतत एवं ठोस प्रयास जरूरी होंगे।’