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इस्लामाबाद: जमात-उद-दावा ने अपने प्रमुख हाफिज सईद को नजरबंद किए जाने और संगठन की गतिविधियों पर कार्रवाई शुरू किए जाने के कुछ दिन बाद अपना नाम बदलकर ‘तहरीक आजादी जम्मू-कश्मीर’ (टीएजेके) रख लिया है। मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड सईद ने अपनी नजरबंदी से करीब एक हफ्ते पहले संकेत दिए थे कि वह ‘कश्मीर की आजादी की मुहिम तेज करने’ के लिए ‘तहरीक आजादी जम्मू-कश्मीर’ शुरू कर सकता है। इससे पता लगता है कि सईद को सरकार की योजना की भनक थी और उसने पहले ही तय कर लिया था कि जमात-उद-दावा (जेयूडी) और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) पर कार्रवाई के बाद दोबारा कैसे सामने आना है और किस तरह संगठन को बनाए रखना है। आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि टीएजेके के नए नाम के तहत दो संगठनों ने गतिविधियां शुरू कर दी हैं और वे 5 फरवरी को कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बना रहे हैं जिसे पाकिस्तान में ‘कश्मीर दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। लाहौर और दूसरे शहरों एवं कस्बों में टीएजेके के बैनर प्रदर्शित किए गए। समूह शाम की नमाज के बाद लाहौर में कश्मीर पर एक सम्मेलन आयोजित करने की भी योजना बना रहा है। टीएजेके ने लाहौर सहित पंजाब के विभिन्न जिलों में दान केंद्रों एवं एंबुलेंस सेवा की दोबारा शुरूआत कर दी है ।

बीजिंग: चीन ने ट्रंप प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका दलाई लामा का इस्तेमाल बीजिंग के खिलाफ करता है तो उसे ‘अंतहीन दिक्कतों और बोझ’ का सामना करना होगा। चीन ने अमेरिका के नए विदेश मंत्री रेक्स टिलसरन के उस सुझाव के लिए उनकी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि वह चीन और धर्मशाला आधारित निर्वासित तिब्बती सरकार के बीच बातचीत को प्रोत्साहित करेंगे। ‘चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस’ की जातीय एवं धार्मिक मामलों की समिति के प्रमुख झू वेकुन ने कहा कि अमेरिका को चीन के दिक्कत पैदा करने से दलाई लामा को रोकना चाहिए क्योंकि इससे अमेरिका को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि चीन-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी सरकार ने चीन की एकता और स्थिरता के लिए दिक्कत पैदा करने की खातिर दलाई लामा का इस्तेमाल किया जिसका वाशिंगटन को कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि इससे चीन-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचा।’

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मुस्लिम बहुल सात देशों के लोगों पर प्रतिबंध लगाने वाले विवादित आव्रजन आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद से अमेरिका ने 60,000 वीजा रद्द किए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी। पिछले सप्ताह ट्रम्प के हस्ताक्षर वाले इस आदेश में इराक, सीरिया, सूडान, ईरान, सोमालिया, लीबिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर 90 दिनों के रोक की बात की गई है। विदेश विभाग के वाणिज्यदूत मामलों के ब्यूरो के प्रवक्ता विल कॉक्स ने कहा, ‘शासकीय आदेश का पालन करने के लिये करीब 60,000 लोगों के वीजाओं को अस्थायी रूप से रद्द कर दिया गया है। हम मानते हैं कि यह उन व्यक्तियों के लिये अस्थायी रूप से तकलीफदेह है लेकिन हम शासकीय आदेश के तहत समीक्षा कर रहे हैं।’ अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग ने बताया कि बहरहाल, यह विराम वैध स्थायी निवासियों, सात सूचीबद्ध देशों के अलावा किसी देश के पासपोर्ट के साथ दोहरी नागरिकता रखने वाले नागरिकों, या राजनयिक, नाटो अथवा संयुक्त राष्ट्र के वीजा पर यात्रा करने वाले व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है। गृह सुरक्षा विभाग ने बताया कि इन सात देशों से विशेष आव्रजक वीजा धारक अमेरिका जाने वाले विमानों में सवार हो सकते हैं और इसके लिये आवेदन कर सकते हैं तथा यहां पहुंचने पर रोक के मद्देनजर राष्ट्रीय हित अपवाद प्राप्त कर सकते हैं। इसके अनुसार, ‘उल्लेखनीय है कि केवल इन्हीं सातों देश पर अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लागू होती है।

सीएटल (अमेरिका): अमेरिका के एक जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से सात मुस्लिम बहुल देशों के यात्रियों और प्रवासियों पर लगाए गए प्रतिबंध पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। जज ने यह रोक वाशिंगटन राज्य और मिनेसोटा की ओर से शासकीय आदेश पर राष्ट्रव्यापी रोक लगाने के लिए की गई अपील के बाद लगाई है। शासकीय आदेश के कारण देशभर में कानूनी लड़ाइयां शुरू हो गई हैं। सीएटल में अमेरिकी जिला जज जेम्स रॉबर्ट ने यह फैसला सुनाया कि राज्यों का रूख ट्रंप के आदेश के प्रति चुनौतीपूर्ण था। ट्रंप के पिछले सप्ताह के आदेश से देशभर में विरोधप्रदर्शन शुरू हो गए थे और कई यात्रियों को रोक लिए जाने के कारण हवाईअड्डों पर संशय की स्थिति पैदा हो गई थी। व्हाइट हाउस ने दलील दी है कि इससे देश सुरक्षित बनेगा। वाशिंगटन ऐसा पहला राज्य है, जिसने ईरान, इराक, सीरिया, सूडान, सोमालिया, लीबिया और यमन से आने वाले लोगों पर अस्थायी तौर पर यात्रा प्रतिबंध लगाने और अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम को निलंबित करने के आदेश को अदालत में चुनौती दी है। अटॉर्नी जनरल बॉब फग्र्यूसन ने इस सप्ताह कहा कि यात्रा प्रतिबंध निवासियों को नुकसान पहुंचाता है और भेदभाव को बढ़ावा देता है। मिनेसोटा राज्य इस मुकदमे में दो दिन बाद शामिल हो गया था।

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