न्यूयार्क: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोदी ने आरोप लगाया कि कश्मीरियों को आत्मनिर्धारण के अधिकार से ‘वंचित’ रखने के कारण हाल में कश्मीर में ‘विस्फोटक स्थिति’ पैदा हुई जिससे क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के सामने खतरा आया। उन्होंने कहा कि हाल में वहां भड़की आग का मुख्य कारण कश्मीर के लोगों को ‘आत्मनिर्धारण के अधिकार से वंचित’ रखा जाना है जिसका उनसे ‘सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा स्वतंत्र जनमत संग्रह के जरिये वादा किया गया था। इससे वहां क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा पर खतरा पैदा हुआ। मलीहा ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के मिशन में ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के उपलक्ष्य पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक कश्मीर ‘आजाद’ नहीं हो जाता, पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्धारण के अधिकार के लिए उनके ‘संघर्ष’ को ‘नैतिक, राजनीतिक एवं कूटनीतिक समर्थन’ देता रहेगा। उन्होंने कहा कि अपनी सरकार की तरफ से वह संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर सक्रियता से कश्मीर का मुद्दा उठा रही है, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र नेतृत्व एवं साथ ही सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के साथ बैठकों के दौरान भी यह मुद्दा उठाया जिन्होंने (अध्यक्ष) तब पाकिस्तान के अनुरोध पर सुरक्षा परिषद को मुद्दे से अवगत कराया।
पाकिस्तानी राजदूत ने साथ ही संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त जायद राद अल हुसैन के साथ अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया। वह कश्मीर में कथित ‘मानवाधिकार उल्लंघन’ की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र का एक मिशन भेजने की मांग पर जोर देने के लिए उच्चायुक्त से मिली थीं।