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नई दिल्ली: यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों से उसके अधिकारियों के साथ पूर्व समन्वय के बिना सीमा चौकियों पर नहीं जाने को कहा है। यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने एक और एडवायज़री जारी करते हुए कहा है कि जैसा कि रूस पूर्व सोवियत गणराज्य पर चौतरफा आक्रमण कर रहा है और इस हमले में हजारों भारतीय फंसे हुए हैं और बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं, इसलिए सीमा पर तैनात भारतीय अधिकारियों से समन्वय के बिना सीमा की तरफ़ न निकलें।
एडवायजरी में कहा गया है कि यूक्रेन के पश्चिमी शहरों में खाने पीने की चीज़ों के साथ जहां है वहां बने रहना ही बेहतर है बजाय इसके कि बिना समन्वय के सीमा पर पहुंच कर कठिनाई उठाएं। एडवायजरी में कहा गया है कि पूर्वी शहर (जैसे खारकीव) में जो भारतीय ख़ास तौर पर छात्र हैं, वे अगले निर्देश तक घरों के अंदर ही रहें या जहां पनाह लिए हैं, वहीं रहें। यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने आज सुबह ट्वीट किया, "विभिन्न सीमा चौकियों पर स्थिति संवेदनशील है और दूतावास हमारे पड़ोसी देशों में हमारे दूतावासों के साथ मिलकर हमारे नागरिकों को निकालने के लिए काम कर रहा है।"
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वाशिंगटन: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद दुनियाभर के कई देश मास्को पर लगातार कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन के साथ इस कड़ी में यूरोपीय यूनियन, जापान, आस्ट्रेलिया और ताइवान जैसे देश भी शामिल हो गए हैं। इसके जरिए दुनिया भर के नेता क्रेमलिन पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच, रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के काफी करीब पहुंच चुकी है और कई यूक्रेनी शरणार्थी पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं। मास्को पर अब तक लगाए गए कुछ प्रतिबंध इस प्रकार हैं-
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को रूस के खिलाफ अपने प्रतिबंधों को और आगे बढ़ाते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया। पुतिन ने जब यूक्रेन में "सैन्य अभियान" की घोषणा की थी, तब उसके कुछ घंटों बाद ही बाइडेन ने रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की घोषणा कर दी थी। ऐसा करने वाले वो विश्व के पहले नेता थे।
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कीव: रूसी सैनिक भले ही कीव में घुस चुके हों और राजधानी पर कभी भी कब्जा हो सकता है, लेकिन इसके बाद भी यूक्रेन घुटने टेकने के लिए तैयार नहीं है। इस बात का अंदाजा यूक्रेन के राष्ट्रपति वेलोडिमीर जेलेंस्की के नए वीडियो मैसेज से लगाया जा सकता है। दरअसल, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन पर किसी भी पल कब्जे की आशंका के बीच नया वीडियो संदेश सोशल मीडिया पर जारी किया है।
इस वीडियो मैसेज में जेलेंस्की के साथ कुछ अन्य सहयोगी भी खड़े दिखाई दे रहे हैं। इसमें जेलेंस्की कहते हैं, "हम यहां हैं। हमारी फौज भी यहां हैं। हमारे नागरिक भी यहां हैं। हम यहां अपनी आजादी की रक्षा के लिए हैं। हम अपने देश की रक्षा कर रहे हैं और ऐसे ही करते रहेंगे। इस वीडियो में उनके साथ प्रधानमंत्री, चीफ ऑफ स्टाफ और राष्ट्रपति भवन के कुछ अन्य अधिकारी भी हैं।"
जेलेंस्की ने यह वीडियो संदेश ऐसे समय पर जारी किया है, जब उनके देश छोड़कर भागने की अफवाह आग की तरह फैल रही थी। ऐसे में उन्होंने वीडियो जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि वह कीव में ही हैं और अपने देश की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे।
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संयुक्त राष्ट्र: यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में शुक्रवार को चर्चा के दौरान रूस ने उस प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की "आक्रामकता" की "कड़े शब्दों में निंदा" की गई थी और रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग की गई थी। हालांकि, रूस से इस कदम की अपेक्षा पहले से ही की जा रही थी।
यूएनएससी के 15 सदस्यों में से ग्यारह ने रूस के खिलाफ पेश प्रस्ताव, जिसे संयुक्त राज्य और अल्बानिया द्वारा सह-लिखित किया गया था, के पक्ष में मतदान किया, जबकि चीन, भारत और यूएई ने वोटिंग से परहेज किया। भारत ने यूक्रेन पर हमले की निंदा की है और बातचीत के जरिए समाधान निकालने पर जोर दिया है।
परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में मास्को की वीटो शक्ति के कारण रूस के खिलाफ यह प्रस्ताव विफल रहा। बावजूद इसके सुरक्षा परिषद में इस बहस ने पड़ोसी यूक्रेन पर हमला करने के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले की निंदा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर दिया।
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