वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी सरकारी कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है। अभी उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बने एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है और 9,500 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी हो चुकी है। सरकारी खर्च को कम करने के उद्देश्य से यह अभियान चलाया जा रहा है। इसमें आगे भी सैकड़ों लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनते ही 'स्पेसएक्स' के मालिक एलन मस्क को 'डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट इफिशिएंसी' का प्रमुख बनाया था। यह एक तरह का अस्थायी डिपार्टमेंट है, जिसे ट्रंप ने केवल इस मकसद से बनाया है ताकि सरकार की फिजूलखर्ची कम की जा सके और एडवांस तकनीकों के जरिए सरकारी कामकाज में दक्षता ज्यादा से ज्यादा बढ़ाई जा सके। इस डिपार्टमेंट की सलाह पर ही भारी संख्या में केंद्रीय कर्मचारियों की छुट्टी हो रही है।
अब तक इंटीरियर, एनर्जी, वेटरन, कृषि, स्वास्थ्य और मानव सेवा विभागों के कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है। कुछ एजेंसियों को बंद किया है, स्वतंत्र निगरानी संस्था 'उपभोक्ता वित्तीय सुरक्षा ब्यूरो' भी शामिल है।
ट्रंप प्रशासन की इस कटौती में कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारी भी शामिल हैं। टैक्स एकत्र करने वाली एजेंसी और इंटरनल रिवेन्यू सर्विस भी हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर रही है।
क्यों हो रही है यह छंटनी?
राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि केन्द्र सरकार बहुत ज्यादा कर्ज में है। पिछले साल 1.8 ट्रिलियन डॉलर का घाटे हुआ था और कुल 36 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। उनका मानना है कि कई विभागों में केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या बेवजह बहुत ज्यादा है और यह संख्या कम किए जाने की जरूरत है।
3% केंद्रीय कर्मचारी दे चुके हैं इस्तीफा
जनवरी में ही ट्रंप प्रशासन ने 20 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को एक नोटिस भेजा था। इसमें उन्हें स्वेच्छा से इस्तीफा देने की पेशकश की गई थी, इसके बदले सरकार से उन्हें 8 महीने की सैलरी भी दी जानी है। इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी थी कि जो यह ऑफर स्वीकार नहीं करते हैं, उनकी नौकरी की भी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में अब तक 75 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारी इस विकल्प को चुनकर नौकरी छोड़ चुके हैं। यह कुल अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों का करीब 3% है। अमेरिका में 23 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी हैं।