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लखीमपुर खीरीः मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि गन्ना किसानों के समस्त बकाया का भुगतान प्रत्येक 31 जुलाई तक कराया जाना सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी विकास के रास्ते पर चलने वाले लोग है और इस रास्ते को कभी नहीं छोडेंगे, क्योंकि यही रास्ता प्रदेश में तरक्की और खुशहाली ला सकता है। मुख्यमंत्री आज सोमवार जनपद लखीमपुर खीरी में सीतापुर-लखीमपुर खीरी 4-लेन मार्ग के शिलान्यास सहित जिले के विकास के लिए लगभग 873 करोड रुपए लागत की 153 परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास करने के बाद एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योंजनाओं के लाभार्थियों को लाभान्वित भी किया। जनसभा मेें मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि समाजवादी सरकार सभी जिला मुख्यालयों को 4-लेन मार्ग से जोडने के लिए कृतसंकल्प है। सड़क नर्माण पर समाजवादी सरकार इतना ध्यान इसलिए दे रही है, क्योंकि सड़क विकास का बड़ा माध्यम है। सडक बनने से यात्रा सुखद और सुरक्षित ही नही ं होती, बल्कि यातायात की रफ्तार भी बढ़ती है। यह रफ्तार अर्थव्यवस्था की रफ्तार को भी बढ़ा देती है। अमेरिका के विकास के बारे में जानकार कहते हंै कि अमेरिका ने सड़के बनायीं और सडकों ने अमेरिका को बना दिया।

लखनऊ: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को दिलकुशा स्थित दरगाह हजरत कासिम में आयोजित रोजा इफ्तार में शामिल हुए। इस मौके पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की बहू व कैन्ट विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी अपर्णा यादव ने राजनाथ सिंह के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। राजनाथ जब दरगाह में रोजा इफ्तार में शामिल होने के लिए पहुंचे तो वहां अपर्णा यादव पहले से मौजूद थीं। उन्होंने राजनाथ सिंह के पैर छुए और आशीर्वाद लिया। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने रमजान की मुबारकवाद दी। उन्होंने कहा कि यह मौका राजनीति का नहीं है। अल्लाह की कृपा रही तो सशक्त भारत का निर्माण होगा। सभी लोग देश की एकता के लिए काम करें। सभी संप्रदाय के लोग एकजुट रहें। इसके बाद अपर्णा यादव ने कहा कि जब केंद्रीय गृहमंत्री जी बोल चुके हैं तो अब मैं क्या बोलूं ! मेरी भी सभी से अपील है कि देशहित में एकजुट रहें। रोजा इफ्तार का आयोजन हजरत शहीद कासिम बाबा सेवा समिति ने किया।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): देश के सबसे बड़े राज्‍य उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) और भाजपा ने सांप्रदायिक धुर्वीकरण की रणनीति तहत अपने कथित हिंदुत्‍व के एजेंडे पर काम शुरू कर दिया है। कैराना का मामला उछालने के बाद भाजपा के दो नेता रामशंकर कठेरिया और योगी आदित्यनाथ अपने भड़काऊ बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री कठेरिया ने जहां शिक्षा के भगवाकरण पर केंद्रित बयान दिया है, वहीं गोरखपुर से सांसद योगी आदित्य नाथ ने राम मंदिर निर्माण को लेकर पार्टी लाइन से अलग बयान दिया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कुछ इसी तरह के सुर अलापते हुए किसी स्‍थान का नाम लिए बगैर यूपी में हिंदुओं के पलायन को लेकर चिंता का इजहार किया है। विपक्ष का मानना है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में मतों के ध्रुवीकरण का लक्ष्य हासिल करने के लिए ऐसे बयान दिये जा रहे हैं। आइए एक नज़र डालते हैं आरएसएस और भाजपा नेताओं के बयानों पर .. रामशंकर कठेरिया ने कहा, शिक्षा में भी भगवाकरण होगा। देश में भगवाकरण होगा। जो देश के लिए अच्छा होगा वो जरूर होगा, चाहे वह भगवाकरण हो या संघवाद या कुछ भी हो। हालांकि वह इस पर बाद में सफाई देते भी दिखे। उन्होंने कहा कि मैंने कहा था कि जो देश हित में होगा, वह होगा। चाहे भगवा रंग हो या कोई और, देश हित में जो होगा उसे लागू करेंगे।

लखनऊ: केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने शिक्षा के भगवाकरण पर कहा कि देश के लिए जो अच्छा होगा, वह जरूर होगा। चाहे भगवाकरण हो या संघवाद हो। कुछ भी हो। ये सभी बातें कठेरिया ने रविवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में शिवाजी के राजतिलक की 342वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित हिन्दी 'स्वराज दिवस समारोह' में कहीं। कठेरिया ने कहा, जो भी देश के हित में हो, जिससे देश संसार के सामने गर्व से खड़ा हो सके वह हमारे बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए और उसे बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए। मंत्री ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा में पिछड़ेपन के लिए सत्ताधारी समाजवादी पार्टी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर क्षेत्र में पिछड़ापन और शिक्षा में तो स्थिति शून्य है। मंत्री ने यह भी दावा किया कि कुछ लोगों की सहूलियत के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जो कि देश के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। अगर लोग महाराणा प्रताप या शिवाजी के बारे में नहीं पढ़ेंगे तो क्या चंगेज खान के बारे में पढ़ेंगे। उन्होंने राष्ट्रीय नेताओं के त्याग को राजनीति के चश्मे से देखने को देश की बढ़ती हुई बीमारी बताते हुए कहा कि अंबेडकर को एक पार्टी या दलितों की निजी जायदाद समझ लिया गया है जबकि वास्तव में अंबेडकर देश के ही आदर्श नेता नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के नेता हैं।

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