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लखनऊ (आशु सक्सेना) जनतादाल (यू) अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए मुहीम तेज़ कर दी है। ये बात तो समझ आती है कि उत्तर प्रदेश उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी प्रदेश की बदौलत ही अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल हुए है। लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी ये सक्रियता कहीं न कहीं मुलायम सिंह यादव से बिहार विधानसभा चुनाव का हिसाब चुकता करने का ज़्यादा नज़र आ रहा है। क्योंकि इस प्रदेश में भाजपा का मुकाबला सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी से है। प्रमुख विपक्षी दल बसपा पूर्व में तीन बार उनकी ही तरह भाजपा के साथ सत्तासुख भोग चुकी है । अगले चुनाव में अगर विधानसभा त्रिशंकु रही, तो बसपा और भाजपा की जुगलबंदी की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। बहरहाल ये बात साफ़ नज़र आ रही है कि बिहार कि तरह उत्तर प्रदेश में भी धर्म निरपेक्ष दल विभाजित नज़र आएंगे। दूसरी तरफ भाजपा सांप्रदायिक धुर्वीकरण का हर संभव प्रयास करेगी। फिलहाल उसका ये प्रयास बदस्तूर जारी है। कैराना मुद्दा उसी दिशा में भाजपा का पहला कदम माना जा सकता है। लेकिन संभवत नीतीश कुमार इस हक़ीक़त को नज़र अंदाज़ कर रहे हैं कि उनके प्रदेश बिहार कि तरह उत्तर प्रदेश में भी पहली बार विकास एक बड़ा मुद्दा होगा और जिसका नायक अखिलेश यादव होंगे। लिहाज़ा मुकाबला यहाँ भी मोदी बनाम अखिलेश होता नज़र आ रहा है। फर्क फिलहाल सिर्फ इतना है कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस को साथ लेकर चुनावी जंग जीती है और अखिलेश यादव को कांग्रेस के विरोध का भी सामना करना है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज (शनिवार) मिर्जापुर में अपनी एक और चुनावी रैली में कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता अगर उनके हाथ मजबूत करती है तो वह राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करा देंगे।नीतीश ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘शराबबंदी देश और समाज की आवश्यकता है। जनता अगर हाथ मजबूत करती है तो हम शराबबंदी लागू करा देंगे।’’ उन्होंने कहा कि बिहार में जब महिलाओं ने उनसे कहा था कि शराब बंद कराइये तो ‘‘मैंने कहा था कि अगर हमारी सरकार आयी तो बंद करा दूंगा और हमने ऐसा कर दिखाया।’’ नीतीश ने सवालों के जवाब में आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सिर्फ घूम घूम कर भाषण दे रहे हैं। उन्होंने दो साल में कुछ नहीं किया। कोई चुनावी वायदा नहीं पूरा किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जब जब चुनाव आता है, सांप्रदायिक माहौल बिगाडा जाता है। कैराना प्रकरण पर उन्होंने कहा कि वहां लोग गरीबी और बेरोजगारी की वजह से पलायन कर रहे हैं। इसे सांप्रदायिक रंग नहीं दिया जा सकता।

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