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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना जल विवाद में उलझने से इंकार करते हुए कहा कि वह इस ‘‘महत्वपूर्ण मामले’’ को सरकारों के विवेक पर छोड़ता है। आयोग ने आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी कहा कि वह यमुना में अमोनिया के बढ़ते स्तर के मुद्दे को ‘‘नदी को जहरीला’’ बनने के अपने आरोपों से न जोड़ें और उन्हें हरियाणा सरकार के खिलाफ अपने आरोपों को स्पष्ट करने का एक नया अवसर दिया।

पर्याप्त और स्वच्छ जल की उपलब्धता शासन का मुद्दा: आयोग

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल को लिखे एक नए पत्र में निर्वाचन आयोग (ईसी) ने कहा कि वह इस तर्क से सहमत है कि पर्याप्त और स्वच्छ जल की उपलब्धता शासन का मुद्दा है और सभी संबंधित सरकारों को हमेशा सभी लोगों के लिए इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

आयोग ने कहा, ‘‘आयोग को इस मुद्दे पर विवाद खड़ा करने का कोई कारण नहीं मिलता। वह चुनाव अवधि के दौरान जल बंटवारे या जल प्रदूषण के मुद्दों पर मध्यस्थता किए बिना इस महत्वपूर्ण मामले को सरकारों और एजेंसियों की क्षमता और विवेक पर छोड़ देगा।’’ आयोग ने कहा कि इन मुद्दों का अतीत बहुत पुराना है और भविष्य के लिए भी इनके दीर्घकालिक निहितार्थ हैं। आयोग ने केजरीवाल को यह भी याद दिलाया कि उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देश पहले से ही लागू हैं।

 

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