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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा ढांचा विध्वंस पर दिए गए फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई है।

उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया।

लखनऊ: छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में 28 साल बाद जज सुरेंद्र कुमार यादव की विशेष अदालत अपना फैसला सुना दिया है। जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा है कि यह विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था बल्कि आकस्मिक घटना थी। अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी व कल्याण सिंह सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया है। 

इस मामले में 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। इसमें से 17 की मौत हो चुकी है। सीबीआई व अभियुक्तों के वकीलों ने करीब आठ सौ पन्ने की लिखित बहस दाखिल की है। इससे पहले सीबीआई ने 351 गवाह व करीब 600 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए हैं। 30 सितंबर, 2019 को सुरेंद्र कुमार यादव जिला जज, लखनऊ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें फैसला सुनाने तक सेवा विस्तार दिया था। विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव के कार्यकाल का अंतिम फैसला 30 सितंबर को होगा। सीबीआई के वकील ललित सिंह के मुताबिक कि यह उनके न्यायिक जीवन में किसी मुकदमे का सबसे लंबा विचारण है। वह इस मामले में वर्ष 2015 से सुनवाई कर रहे हैं।

लखनऊ: हाथरस में गैंगरेप की शिकार दलित लड़की की मौत के बाद परिवार की मर्जी के बगैर दाह संस्‍कार किए जाने की घटना ने विपक्ष को पुलिस और सरकार पर हमला करने का बड़ा मौका दे दिया है। घटना को लेकर यूपी में सियासत गर्म हो गई है। सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस मामले को लेकर सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि हाथरस की बेटी का जबरन दाह संस्‍कार सबूत मिटाने की कोशिश है। ऐसा करके भाजपा सरकार ने पाप भी किया है और अपराध भी। 

अपने अधिकारिक हैंडल पर सपा मुखिया ने लिखा-'हाथरस की बेटी बलात्कार-हत्याकांड’ में शासन के दबाव में, परिवार की अनुमति बिना, रात्रि में पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार करवाना, संस्कारों के विरुद्ध है। ये सबूतों को मिटाने का घोर निंदनीय कृत्य है। भाजपा सरकार ने ऐसा करके पाप भी किया है और अपराध भी। इस ट्वीट के साथ अखिलेश ने #नहीं_चाहिए_भाजपा और #हाथरस भी लिखा है। 

लखनऊ: हाथरस दुष्कर्म कांड पर देश भर में हो रहे प्रदर्शन और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है। इसकी अध्यक्षता गृह सचिव भगवान स्वरूप करेंगे। डीआईजी चंद्र प्रकाश और आईपीएस पूनम को इसका सदस्य बनाया गया है। एसआईटी एक सप्ताह में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी।

बता दें कि प्रशासन ने मंगलवार देर रात परिजनों के घोर विरोध के बीच पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। कहा जा रहा है कि इससे पीड़िता से जुड़े हुए साक्ष्य भी नष्ट हो गए हैं। हाथरस दुष्कर्म कांड में पीड़िता की मौत के बाद राजनीतिक दलों ने भी जमकर विरोध प्रदर्शन किया और प्रदेश में लगातार बढ़ रहे अपराधों को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा। लखनऊ में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया। जिस पर पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बल प्रयोग किया। पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया। इसके अलावा, सपाइयों ने कैंडल मार्च निकालकर न्याय मांगा।

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