लखनऊ: खुले में नमाज़ पढ़ने को लेकर चल रहे विवाद पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म ख़ान ने कहा है कि अब नोएडा में काम कर रहे मुसलमानों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा। यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म ख़ान ने कहा कि पुलिस ने कंपनी के मालिक को नोटिस जारी कर कहा है कि आप मुसलमानों को बाहर नमाज पढ़ने से रोकिए और अगर नहीं रुकते हैं तो फिर नौकरी से निकाल देने को कहा गया है। उन्होंने कहा है कि एक कारखाने में 3-4 मुसलमान ही काम करते हैं, अब उन्हें भी नौकरी से निकाल दिया जाएगा। भारत 47 से पहले का भारत नहीं है। अब यह बहुसंख्यकों का देश है।
उन्होंने कहा है कि ये अलग बात है कि हम इसको वतन समझकर रुके. गलती हुई अब इस पर बहस होनी चाहिए। आज नहीं तो कल इस पर बहस होगी। आज़म ख़ान ने आगे कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जब मस्ज़िद गिरा दी गई, उस वक्त पंजाब और हरियाणा के लोग रहते थे।
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता ने आगे कहा कि बहुसंख्यकों का देश है और उनको सारे हक़ हासिल है। कहीं भी जागरण करे, कहीं भी पूजा करें, कहीं भी रामलीला लगाए, उनका मुल्क़ है हमें इसपर कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए और न है, लेकिन जुमे के दिन अगर नमाज़ पढ़ी जाती थी तो इसपर भी रोक लगाया गया। मामला यह भी नहीं अगर मालिक को इसे रोकने के लिए नोटिस जारी किया गया उसपर ऐतराज करना चाहिए।
कुरान के अलावा कोई भी क़ानून मान्य नहीं
पार्लियामेंट में 3 तलाक का बिल पास होने पर आज़म ख़ान ने कहा कि ये जो मुस्लिमों के बीच झगड़ा लगाया गया है इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला है। ये जो महिलाएं तीन तलाक का मसला उठाती है उनके मुकालबले कुरान मानने वालों की संख्या ज्यादा है। कुरान में तलाक का पूरा तरीका है, हमारे लिए सिर्फ वहीं कानून मान्य होगा जो कुरान में अल्लाह ने तय किया है इसके अलावा कोई और कानून मान्य नहीं होगा। इसके साथ ही आज़म ने कहा है कि पहले भीड़ मुसलमानों को मारना शुरु किए थे और अब दारोगा मारा गया। उन्होंने कहा कि कितनी बेरहमी से क़त्ल किया गया, पहले काटा गया और फिर गोली मारी गई। ये रास्ता हमारे लिए तय किया गया था अब लोग बिगड़ गए हैं हमारे लिए गड्ढा खोदा गया था अब खुद ही गिरने लगे हैं।