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हरिद्वार: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ का उद्देश्य ‘देश के गौरव को फिर से जगाना है और समाज को विस्मृति की हालत से बाहर निकालना है।’यहां के कनखल क्षेत्र में जगदगुरू आश्रम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघ को समाज के सभी वर्गों के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस काम को पूरा करने के लिए देशव्यापी संगठनात्मक ढांचे को खड़ा किया जाएगा। भागवत ने कहा, ‘हमें देश के सर्वांगीण विकास के लिए काम करना होगा, इस तरह से कि विकास अंतिम व्यक्ति तक भी पहुंच सके।’

हरिद्वार: द्वारकाशारदा पीठ के प्रमुख शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आज कहा कि गाय न केवल हिंदुओं की बल्कि मुस्लिमों की भी मां है क्योंकि इसका दूध एक धर्म को मानने वाले लोगों के समान ही दूसरे धर्म को मानने वालों के लिए भी उतना ही लाभदायक है । यहां एक बयान में स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि हिंदुओं को भी गाय के दूध से उतना ही प्रोटीन मिलता है जितना मुस्लिमों को । इसलिए यह कहना एकदम सही है कि गाय न केवल हिंदुओं की बल्कि मुस्लिमों की भी मां है । उन्होंने कहा कि कोई किसी भी धर्म से जुड़ा हो लेकिन गाय को बचाना भारतीयों के हित में है । उन्होने कहा कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में गौवध के खिलाफ कानून बनाए गए हैं और इसमें कुछ गलत नहीं है । उन्होंने कहा कि गौवध के खिलाफ कानूनों को समय समय पर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी लेकिन ऐसी अपीलों को हमेशा खारिज कर दिया गया। स्वरूपानंद ने कहा कि गौवध के खिलाफ कानून बनाने के साथ ही इसके मांस की बिक्री पर भी प्रतिबंध होना चाहिए।

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंत्री मंडल का विस्तार कर दिया। विकासनगर विधायक नवप्रभात और बदरीनाथ विधायक राजेन्द्र भंडारी रावत मंत्रिमंडल के नए सदस्य बने हैं। गुरूवार को राजभवन में दोनों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों विधायकों के अनुभव का लाभ राज्य को मिलेगा। दोनों ही वरिष्ठ विधायक है और पूर्व में मंत्रीपद की जिम्मेदारी संभाल चुके है। सूत्रों के अनुसार आज शाम तक मुख्यमंत्री मंत्रियों के कामकाज का बंटवारा भी कर सकते हैं। पूर्व मंत्री सुरेंद्र राकेश के निधन और हरक सिंह रावत के इस्तीफे के बाद राज्य मंत्रिमंडल में दो सीटें खाली हुई थी। मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों सीटों पर गढ़वाल क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने का संकेत पहले ही दे चुके थे।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहराए गए उत्तराखंड के नौ विधायकों को अंतरिम राहत देने से आज मना कर दिया। इन विधायकों ने अपनी अयोग्यता पर रोक लगाने की मांग की है और विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति मांगी है। विधानसभा का सत्र 21 जुलाई से देहरादून में शुरू हो रहा है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की पीठ ने हालांकि कहा कि इन विधायकों और भाजपा विधायकों द्वारा दिया गया नोटिस बना रहेगा और विधायकों की याचिका पर उसके फैसले के अंतिम नतीजे पर निर्भर करेगा। अदालत ने कहा, ‘हम यह कहने को तैयार हैं कि अगर याचिकाकर्ताओं (बागी विधायकों) द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए पेश किये गए प्रस्ताव पर उत्तराखंड विधानसभा किसी भी समय विचार करती है तो वह एसएलपी के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा और क्षेत्राधिकार के मुद्दे समेत याचिका में उठाए गए सारे मुद्दे विचार के लिए खुले हुए हैं।’ पीठ ने इस बीच कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन समेत बागी विधायकों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई पहले करने का फैसला करते हुए इसकी तारीख 28 जुलाई निर्धारित कर दी। विधायकों ने अपनी नई याचिका में शीर्ष अदालत के अरूणाचल प्रदेश मामले में सुनाए गए हालिया फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि हटाए जाने के प्रस्ताव का सामना कर रहे विधानसभा अध्यक्ष उन्हें अयोग्य नहीं ठहरा सकते।

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