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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहराए गए उत्तराखंड के नौ विधायकों को अंतरिम राहत देने से आज मना कर दिया। इन विधायकों ने अपनी अयोग्यता पर रोक लगाने की मांग की है और विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति मांगी है। विधानसभा का सत्र 21 जुलाई से देहरादून में शुरू हो रहा है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की पीठ ने हालांकि कहा कि इन विधायकों और भाजपा विधायकों द्वारा दिया गया नोटिस बना रहेगा और विधायकों की याचिका पर उसके फैसले के अंतिम नतीजे पर निर्भर करेगा। अदालत ने कहा, ‘हम यह कहने को तैयार हैं कि अगर याचिकाकर्ताओं (बागी विधायकों) द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए पेश किये गए प्रस्ताव पर उत्तराखंड विधानसभा किसी भी समय विचार करती है तो वह एसएलपी के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा और क्षेत्राधिकार के मुद्दे समेत याचिका में उठाए गए सारे मुद्दे विचार के लिए खुले हुए हैं।’ पीठ ने इस बीच कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन समेत बागी विधायकों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई पहले करने का फैसला करते हुए इसकी तारीख 28 जुलाई निर्धारित कर दी। विधायकों ने अपनी नई याचिका में शीर्ष अदालत के अरूणाचल प्रदेश मामले में सुनाए गए हालिया फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि हटाए जाने के प्रस्ताव का सामना कर रहे विधानसभा अध्यक्ष उन्हें अयोग्य नहीं ठहरा सकते।

नैनीताल उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले को बरकरार रखा था जिसमें चैंपियन और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत अन्य को अयोग्य ठहराया गया था। विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ दो अपील लंबित हैं।

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