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बेंगलुरू: कर्नाटक की नई भाजपा सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार में सरकारी बोर्ड, निगमों और प्राधिकरणों और आयोगों में हुई सभी नियुक्तियों को सोमवार को रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस संबंध में मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर को निर्देश जारी किए हैं।

मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने मुख्य सचिव को एक नोट में बोर्ड, निगमों, प्राधिकरणों और आयोगों के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, निदेशकों और सदस्यों की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अगले आदेश तक बतौर अध्यक्ष संबंधित अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिवों और सचिवों की नियुक्ति के लिए भी निर्देश जारी किया है। मुख्य सचिव से संबंधित अधिकारियों को इस मामले में जरूरी आदेश या अधिसूचना जारी करने को कहा गया है।

बेंगलु्रू: कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने 17 बागी विधायकों को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि दल बदल रोधी कानून का प्रावधान करने वाली ‘‘संविधान की 10 वीं अनुसूची’’ अपने लक्षित उद्देश्यों को हासिल करने में नाकाम रही है। उन्होंने इस पर नये सिरे से गौर किए जाने पर भी जोर दिया है। कुमार ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल 14 महीने, चार दिन का रहा। कुमार ने कहा कि ‘‘चुनाव सुधार’’ वक्त की दरकार है।

उन्होंने कहा, ‘‘सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की मूल वजह चुनाव प्रणाली है। (इसलिए) चुनाव सुधारों की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार के बगैर भ्रष्टाचार का उन्मूलन करने के बारे में बात करना बगैर किसी प्रतिबद्धता के सिर्फ एक खोखला बौद्धिक विमर्श होगा। बी एस येदियुरप्पा नीत तीन दिन पुरानी भाजपा सरकार के राज्य विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल करने के बाद अध्यक्ष के तौर पर कुमार ने विधानसभा को आखिरी बार संबोधित किया।

बेंगलुरु (जनादेश ब्यूरो): कर्नाटक विधानसभा में सोमवार को विश्वासमत साबित करने के फौरन बाद के.आर. रमेश ने विधानसभा स्पीकर पद से अपना इस्तीफा दे दिया। कुमार की तरफ से उनके उस फैसले के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस-जेडीएस की याचिका पर 14 बागी विधायकों को विधानसभा से अयोग्य करार दिया। अपने कार्यकाल में केआर रमेश ने कुल 17 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया है। ये सभी विधायक पिछले करीब दो हफ्ते से विधानसभा से इस्तीफा देने पर अड़े थे, जिसके चलते चौदह महीने पुरानी एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिर गई। आज सदन में बीएस येदियुरप्‍पा सरकार की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव को ध्‍वनि मत पारित करवाने के बाद केआर रमेश ने स्पीकर पद से अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर के. रेड्डी को सौंप दिया।

गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार के गठन से पहले भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह तय कर चुका था कि अगर स्पीकर अपने पद से इस्तीफा नही देंगे, तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। स्पीकर ने विधानसभा में अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर रेड्डी को देते हुए कहा- “अगर मेरी तरफ से कोई गलती हुई तो प्लीज मुझे माफ कर दें। मैं ऐसा मानता हूं कि यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। इसके साथ, मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं।”

बेंगलुरु: कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट के बीच राज्‍य की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर जाने के बाद बीएस येदियुरप्‍पा ने 26 जुलाई को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन उनके और भाजपा के लिए आज यानी 29 जुलाई का दिन काफी अहम था। कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद बीएस येदियुरप्‍पा ने सदन में विश्‍वास मत पेश किया। इसके बाद इस पर कांग्रेस नेता सिद्धारमैया और पूर्व मुख्‍यमंत्री कुमारस्‍वामी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। सिद्धारमैया ने विश्‍वास मत का विरोध किया। अंत में बीएस येदियुरप्‍पा सरकार की ओर से ध्‍वनि मत के जरिये बहुमत साबित कर दिया गया।

इससे पहले उन्होंने विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने कहा, "जब सिद्धारमैया और एच.डी. कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे, उन्होंने बदले की राजनीति नहीं की थी। उन्होंने कहा, प्रशासन नाकाम रहा, और हम उसे सही कर देंगे... मैं सदन को आश्वासन देता हूं कि हम भी बदले की राजनीति नहीं करेंगे... मैं 'भूल जाओ और माफ करो' में विश्वास करता हूं।" विश्‍वास मत पर चर्चा के दौरान कर्नाटक के पूर्व मुख्‍यमंत्री कुमारस्‍वामी ने कहा कि मैंने 14 महीने सरकार चलाई। मैं आपके (येदियुरप्‍पा) सवालों का जवाब देने के लिए बाध्‍य नहीं हूं।

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