बेंगलुरु: कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट के बीच राज्य की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर जाने के बाद बीएस येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन उनके और भाजपा के लिए आज यानी 29 जुलाई का दिन काफी अहम था। कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद बीएस येदियुरप्पा ने सदन में विश्वास मत पेश किया। इसके बाद इस पर कांग्रेस नेता सिद्धारमैया और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। सिद्धारमैया ने विश्वास मत का विरोध किया। अंत में बीएस येदियुरप्पा सरकार की ओर से ध्वनि मत के जरिये बहुमत साबित कर दिया गया।
इससे पहले उन्होंने विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने कहा, "जब सिद्धारमैया और एच.डी. कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे, उन्होंने बदले की राजनीति नहीं की थी। उन्होंने कहा, प्रशासन नाकाम रहा, और हम उसे सही कर देंगे... मैं सदन को आश्वासन देता हूं कि हम भी बदले की राजनीति नहीं करेंगे... मैं 'भूल जाओ और माफ करो' में विश्वास करता हूं।" विश्वास मत पर चर्चा के दौरान कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि मैंने 14 महीने सरकार चलाई। मैं आपके (येदियुरप्पा) सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हूं।
पिछले 14 महीने से जो कुछ भी हुआ वह सब रिकॉर्डेड है। जनता जानती है कि मैंने क्या कार्य किए हैं।
कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि हम आशा करते हैं कि बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री हो सकते हैं, लेकिन इसकी कहीं कोई गारंटी नहीं है। आप लोग बागी विधायकों के साथ हैं, ऐसे में क्या आप स्थिर सरकार दे सकते हैं? यह नाममुकिन है। मैं इस विश्वास मत का विरोध करता हूं। क्योंकि यह सरकार असंवैधानिक है।