अहमदाबाद: वडोदरा की हरणी झील में गुरुवार को नाव पलट जाने से 13 बच्चों व दो शिक्षकों की मौत के मामले की जांच अब सात सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) करेगी। मुख्य आरोपित परेश शाह घटना के बाद से फरार है। गुजरात पुलिस ने दुर्घटना के सिलसिले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें ठेके पर हरणी झील को संचालित करने वाली फर्म कोटिया प्रोजेक्ट्स के तीन साझेदार, एक मैनेजर और दो नाव संचालक शामिल हैं। पुलिस ने 18 लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के तहत मामला दर्ज किया था।
11 मृतकों का होगा अंतिम संस्कार
एसआइटी के मुखिया संयुक्त पुलिस आयुक्त मनोज नीनामा होंगे, जबकि इसमें दो सहायक पुलिस आयुक्त, दो पुलिस उपायुक्त व दो पुलिस निरीक्षक इसके सदस्य होंगे। वडोदरा पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत ने बताया कि 11 मृतकों का शुक्रवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि चार अन्य के परिजनों के वडोदरा पहुंचने के बाद उनका अंतिम संस्कार होगा।
स्कूल संचालकों ने बोट संचालक पर डाली पूरी जिम्मेदारी
उधर स्कूल संचालकों ने घटना की पूरी जिम्मेदारी बोट संचालक पर डाल दी है। उनका कहना है कि बच्चों के साथ गए शिक्षकों ने बोट में क्षमता से अधिक सवारी होने व लाइफ सेविंग जैकेट नहीं पहनाने की बात कही पर बोट संचालक नहीं माने और बोट चला दी गई। उधर, वडोदरा बार एसोसिएशन ने बोट हादसे के आरोपितों का केस लड़ने से इनकार कर दिया है। पीडितों के समर्थन में बार एसोसिएशन ने कहा है कि आपराधिक लापरवाही के कारण बच्चों की जान गई है।
हाई कोर्ट ने कहा- लापरवाही बर्दाश्त नहीं
वडोदरा नाव दुर्घटना को लेकर वरिष्ठ वकील ब्रजेश त्रिवेदी ने गुजरात उच्च न्यायालय से स्वत: संज्ञान लेकर पीडि़तों को न्याय दिलाने की मांग की। इस पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि हरणी तालाब पर लाइफ सेविंग जैकेट मौजूद होने के बावजदू बच्चों को नहीं पहनाना आपराधिक लापरवाही है। इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। इस घटना में मासूम बच्चों की जान गई है। घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।