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चंडीगढ़: पंजाब पुलिस ने मंगलवार रात को मोहाली में एक वाहन से 160 किलोग्राम सोना जब्त किया जिसकी कीमत लगभग 21 करोड़ रपये है । पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मोहाली के सोहना थानांतर्गत बखारपुर चौक पर हो रही विशेष तलाशी के दौरान वाहन से यह कच्चा सोना पकड़ा गया । पुलिस ने बताया कि सोना दिल्ली से लाया गया था और हिमाचल प्रदेश ले जाया जा रहा था । कार सवार तीन लोगों को हिरासत में ले लिया गया है । मोहाली के पुलिस उपाधीक्षक गगनदीप सिंह ने बताया कि इस संबंध में ये लोग कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए और न ही वे इस संबंध में कोई आवश्यक दस्तावेज पेश कर पाए ।
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चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस प्रमुख कैप्टन अमरिन्दर सिंह और पूर्व सेना प्रमुख जेजे सिंह (शिअद) सहित 573 उम्मीदवारों ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को अपना नामांकन भरा। पंजाब में एक चरण में चुनाव होने हैं और मतदान 4 फरवरी को होगा। आज के नामांकन के बाद अभी तक कुल 884 लोगों ने पर्चे दाखिल किए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने पटियाला विधानसभा सीट से अपना पर्चा भरा। उनकी पत्नी और पटियाला से विधायक परनीत कौर तथा परिवार के अन्य सदस्य साथ थे। इससे पहले 74 वर्षीय कांग्रेस नेता ने अपने पैतृक आवास किला मुबारक में बने गुरूद्वारा बुर्ज बाबा अला सिंह पर मत्था टेका और काली माता मंदिर में पूजा की। वह गुरूद्वारा दुख निवारण साहिब भी गए। नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने अपने पैतृक शहर से रोड शो शुरू किया। अमरिन्दर सिंह बुधवार को लाम्बी सीट से भी पर्चा भरेंगे। लाम्बी में वह मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से सीधी टक्कर ले रहे हैं। कैप्टन ने खुद इस चुनावी जंग को ‘सभी लड़ाइयों का बाप’ बताया है। पर्चा भरने के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान अमरिन्दर ने कहा कि वह लाम्बी से बादल को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि भविष्य के सभी मुख्यमंत्रियों को पारिवारिक लाभ के लिए शक्ति के दुरूपयोग को लेकर सबक मिल सके। उन्होंने शिअद प्रत्याशी जनरल सिंह से कोई चुनावी खतरा होने से इनकार किया। कैप्टन ने उन्हें ‘जनरल’ बुलाने से इनकार करते हुए कहा कि उनकी वरिष्ठता किसी मेरिट के आधार पर नहीं थी। जनरल जेजे सिंह ने भी शिअद की ओर से अमरिन्दर के खिलाफ नामांकन दाखिल किया है। पर्चा भरने के बाद उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को ‘फर्जी सैनिक’ बताते हुए उनकी आलोचना की।
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नई दिल्ली: कांग्रेस में शामिल होने के बाद नवजोत सिद्धू की ने आज ( सोमवार) पहली बार बोलते हुए कहा कि मैं पैदायशी कांग्रेसी हूं, मेरे पिता सरदार भगवंत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस की 40 साल तक सेवा की है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस में आने के बाद अपनी जड़ों से जुड़ा महसूस कर रहा हूं। प्रेस कांफ्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू ने रामायण का उदाहरण देते हुए कांग्रेस को कौशिल्या बताया, साथ ही उन्होंने भाजपा पर तंज करते हुए कहा कि अब आप लोगों को तय करना हैं कि कैकयी कौन हैं। उन्होंने कहा, 'लोग कहते हैं सिद्धू पार्टी को मां कहता था, लेकिन मां तो कैकयी थी। सबको पता है मंथरा है पंजाब में।' उन्होंने पंजाब की बादल सरकार पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि बादल परिवार ने पंजाब को खोखला कर दिया है। युवाओं को खोखला कर दिया है। उन्होंने कहा कि युवाओं को जगाना होगा, उनको एक नई दिशा देनी होगी। उन्होंने कहा कि ड्रग्स आज पंजाब की सच्चाई है, इसे जड़ से मिटाना होगा। इससे युवाओं को बर्बाद किया जा रहा है। प्रकाश सिंह बादल को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा, 'भाग बाबा बादल भाग, कुर्सी खाली कर,कि पंजाब कि जनता आती है।' पंजाब में ड्रग्स के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ड्रग्स आज पंजाब की हकीकत है, आज इसके चलते पंजाब के युवाओं की जिंदगी बर्बाद हो रही है। यहां के राजनेता इस बुराई को खत्म नहीं करना चाहते। मैंने बहुत से दुख झेले हैं लेकिन मैं अपने बेटों को नाली में लेटा हुए नहीं देख सकता।
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चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला का शनिवार को यहां निधन हो गया। वह 91 वर्ष की आयु के थे। उन्होंने पंजाब की कमान ऐसे समय में संभाली थी जब अस्सी के दशक में उग्रवाद वहां चरम पर था। वर्ष 1985 से 1987 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बरनाला को बृहस्पतिवार को यहां पोस्ट-ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में भर्ती कराया गया था। बरनाला को पीजीआई की कार्डिएक केयर यूनिट में भर्ती कराया गया था और आज सुबह उन्हें रेसपिरेटरी आईसीयू में ले जाया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। वर्ष 1985 की गर्मियों में संकटग्रस्त पंजाब में शांति बहाल करने के लिए राजीव-लोगोंवाल संधि किए जाने के बाद अकाली दल के उदारवादी नेता बरनाला मुख्यमंत्री बने। तमिलनाडु का राज्यपाल रहते बरनाला ने 1991 में द्रमुक सरकार भंग करने की सिफारिश करने से मना कर दिया था। उस समय चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री थे। इनकार के बाद जब बरनाला का बिहार स्थानांतरण किया गया तो उन्होंने राज्यपाल के पद से इस्तीफा देना उचित समझा। चन्द्रशेखर की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार ने तब संविधान के अनुच्छेद 356 के ‘अन्यथा’ प्रावधान का उपयोग कर करणानिधि की सरकार भंग कर दी थी। बरनाला उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश के भी उपराज्यपाल रहे।
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