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नई दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल में एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पूरी ताकत झोंक दी है तो दूसरी तरफ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के भीतर ही सिर फुटव्वल शुरू हो गया है। वाम दलों के साथ चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) से भी गठबंधन किया है और अब राज्यसभा में पार्टी के उपनेता ने इसे कांग्रेस की मूल विचारधारा के खिलाफ बता दिया। उन्होंने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन को शर्मनाक बताया है। वहीं, आनंद शर्मा को जवाब देते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि यह गठबंधन पार्टी नेतृत्व की मंजूरी से हुआ है। 

कांग्रेस के नाराज नेताओं के समूह 'जी-23' के सदस्य आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, ''आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।''

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर टिप्पणी कर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो घिर गए हैं। उन्होंने एक ट्वीट कर विवादित मीम शेयर किया था, जिसमें ममता को लेकर लिखा था- 'बेटी पराया धन होती है। इस बार विदा कर देंगे।' बाबुल सुप्रियो ने दरअसल एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें ऊपर ममता बनर्जी की फोटो थी और उसके कैप्शन में लिखा था, 'मैं बंगाल की बेटी हूं।' इसके नीचे केंद्रीय मंत्री अमित शाह की एक हाथ जोड़े हुए तस्वीर थी, जिसके साथ लिखा था, 'बेटी पराया धन होती है। इस बार विदा कर देंगे।' अपने ट्वीट में बाबुल सुप्रियो ने बताया था कि यह मीम भाजपा की आसनसोल जिला यूनिट ने किया था।

इस मीम को शेयर करते हुए कैप्शन में बाबुल सुप्रियो ने लिखा था, 'कर ही देंगे इस बार विदा।' भले ही बाबुल सुप्रियो ने ममता बनर्जी पर तंज कसने की कोशिश में यह ट्वीट किया था, लेकिन वह इस पर घिर गए। तृणमूल समर्थकों के अलावा बड़ी संख्या में लोग उनकी आलोचना करने लगे। इसके बाद उन्होंने अपने ट्वीट को ही डिलीट कर दिया।

कोलकाता: वामपंथी दलों और कांग्रेस ने आईएसएफ को गठबंधन में शामिल करने का मुद्दा सुलझने के बाद पश्चिम बंगाल में अपने प्रचार अभियान के आगाज की तैयारी कर ली है। रविवार को यह गठबंधन कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में विशाल रैली के जरिये आगामी विधानसभा चुनावों के लिए हुंकार भरेगा। पश्चिम बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाले वामपंथी मोर्चे और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर पहले ही समझौता हो चुका था। इसके बाद वामपंथी मोर्चे और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की तरफ से नवगठित इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के बीच भी 30 सीटों के लिए सहमति बनाई जा चुकी है।

कांग्रेस और आईएसएफ के बीच कुछ सीटों को लेकर मतभेद हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों ही पक्ष जल्द ही आपस में सहमति बना लेंगे। इसी कारण चुनावी तारीखें तय होने के साथ ही प्रचार अभियान को भी तेजी देने की तैयारी कर ली गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य के मुताबिक, बिग्रेड मैदान पर विशाल रैली हमारे विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत होगी।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से जनता ममता बनर्जी पर अपनी 'ममता' दिखा सकती है। एबीपी न्यूज-सी वोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक सूबे में टीएमसी की सरकार 148 से 164 सीटों के साथ बन सकती है। पोल के मुताबिक टीएमसी को लगभग सभी इलाकों में भाजपा से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। वहीं भाजपा के खाते में 100 से ज्यादा सीटें जा सकती है। पोल के मुताबिक उसे 92 से 108 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि तीन दशक से ज्यादा समय तक सत्ता में रहने वाले वामदलों को गहरा झटका लगता दिख रहा है। कांग्रेस के लिए भी सर्वे निराशाजनक तस्वीर पेश कर रहा है। सर्वे के अनुसार लेफ्ट कांग्रेस गठबंधन को 31 से 39 सीटें ही मिल सकती हैं।

सीवोटर के डायरेक्टर यशवंत देशमुख ने सर्वे में भाजपा के पिछड़ने को लेकर कहा, 'भाजपा सर्वे में शानदार प्रदर्शन करती दिख रही है। लेकिन उसके खाते में आने वाले वोट लेफ्ट और कांग्रेस का है। वहीं टीएमसी का वोटर अब भी उसके साथ मजबूती से जुड़ा दिख रहा है। टीएमसी के वोट बैंक में सेंध न लगा पाने के चलते भाजपा को यह स्थिति देखनी पड़ सकती है। हालांकि भाजपा का यह उभार भी अप्रत्याशित ही है।'

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