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नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने नीतीश कुमार को आरोप मुक्त करने के फैसले को बरकरार रखते हुए पटना उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया। हत्या की यह वारदात 28 वर्ष पूर्व 16 नवंबर, 1991 को हुई थी। इसमें नीतीश कुमार को भी आरोपी बनाया गया था। नीतीश कुमार के खिलाफ निचली अदालत द्वारा 28 साल पुराने एक हत्या के मामले में दिए गए आदेश को मार्च 2019 में पटना उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। पटना उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

मामले के अनुसार पंडारक के ढीबर गांव में 16 नवंबर, 1991 को बाढ़ संसदीय क्षेत्र के मध्यावधि चुनाव के लिए हुए मतदान के दिन ग्रामीण सीताराम सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में नीतीश कुमार सहित कुल पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद नीतीश कुमार सहित दो लोगों को पुलिस ने जांच के बाद आरोपमुक्त कर दिया था। वर्ष 2009 में मृतक के भाई अशोक सिंह द्वारा बाढ़ के तत्कालीन एसीजेएम की न्यायालय में याचिका दाखिल कर नीतीश कुमार को अभियुक्त बनाने की मांग की गई थी।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि 19 जनवरी को जल-जीवन-हरियाली अभियान तथा शराबबंदी-नशामुक्ति के पक्ष में और बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ जब पूरे बिहार के लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करेंगे तो देश ही नहीं पूरी दुनिया के लोग इससे प्रेरित होंगे। जल-जीवन-हरियाली अभियान को जो समझेगा वही इसे मानेगा। हम सब मिलकर इस अभियान को सफल बनायेंगे।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस पर बिना मतलब की चर्चा में लगे हैं कि 26 जनवरी को दिल्ली में जल-जीवन-हरियाली अभियान की झांकी नहीं दिखाई जाएगी। देश में कई अन्य काम किये जा रहे हैं, जिसे गणतंत्र दिवस की झांकी में दिखाया जायेगा। बिहार से संबंधित चीजों को भी पहले गणतंत्र दिवस की झांकी में दिखाया गया है। इस पर परेशान होने की जरूरत नहीं है।

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अभी समय है लेकिन उसको लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। पोस्टर के जरिए विरोधियों पर निशाना साधने से लेकर नए नारे गढ़ने की शुरुआत हो चुकी है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने पार्टी को एक नया नारा दिया है। लालू प्रसाद यादव का नारा है- 'दो हजार बीस, हटाओ नीतीश।' शनिवार को लालू ने इस नारे को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया। इससे पहले जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और आरजेडी के बीच पोस्टर वार की शुरुआत हो ही चुकी है।

आरजेडी ने पार्टी कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगाया था, जिसमें नीतीश कुमार की सरकार को झूठ की टोकरी और घोटालों का धंधा बताया गया था। इस पोस्टर का जेडीयू ने भी जवाब दिया। जेडीयू ने अपने पोस्टर में आरजेडी के 15 साल और इस सरकार के 15 साल में फर्क बताया। इसके साथ ही आरजेडी के पोस्टर में भाषाई गलतियों को चरवाहा विद्यालय का आतंक कहा। 2015 का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने वाली जेडीयू और आरजेडी के बीच का सियासी घमासान अब चुनाव तक नहीं थमने वाला है।

पटना: संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर भाजपा के खिलाफ लगातार आक्रोश जाहिर करने के बाद जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में राजग की वरिष्ठ साझीदार होने के नाते उनकी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। दोनों दलों ने इस साल लोकसभा चुनाव में बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा था। किशोर ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरे अनुसार लोकसभा चुनाव का फार्मूला विधानसभा चुनाव में दोहराया नहीं जा सकता।’’

वहीं भाजपा ने किशोर के इस बयान पर निराशा जाहिर की है। पार्टी बिहार में अपना पलड़ा भारी रखने की जुगत में है और नीतीश कुमार से खुद को कम आंकने के लिए कहीं से भी तैयार नहीं है। राज्य में भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, “भाजपा शिष्टाचार, अनुशासन बनाए रखने और ऐसे सार्वजनिक बयान नहीं देने में यकीन रखती है जो सिर्फ खबरों के लिहाज से दिए जाएं। आनंद ने कहा “2020 के विधानसभा चुनावों के संबंध में राजग के सभी फैसले हमारे शीर्ष नेतृत्व के बीच होने वाली चर्चा के विषय हैं।”

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