पटना: नागरिकता कानून यानि एनसीआर और एनपीआर को लेकर देशभर में जारी बहस और बवालों के बीच राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू यादव इसमें कूद पड़े हैं। लालू यादव ने शनिवार को ट्वीट कर जातीय जनगणना कराए जाने की मांग की है। आरजेडी चीफ ने ट्वीट करते हुए कहा- “कथित एनपीआर, एनआरसी और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे। सुना है एनपीआर में अनेकों अलग-2 कॉलम जोड़ रहे है। लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है? क्या 5000 से अधिक जातियों वाले 60 प्रतिशत अनगिनत पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू नहीं है जो आप उनकी गणना नहीं चाहते?”
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने पूछा है कि केन्द्र सरकार कुत्ता, बिल्ली और हाथी-घोड़ा सबकी गिनती करती है तो पिछड़े और अतिपिछड़ों की गिनती में क्या परेशानी है। मुस्लिम तो बहाना हैं, दलित-पिछड़ा असली निशाना हैं। ट्वीट के माध्यम से उन्होंने स्वीकार किया है कि हमने मनमोहन सिंह सरकार से 2010 में जातीय जनगणना को स्वीकृति दिलवाई थी। लेकिन उस पर हजारों करोड़ खर्च करने के बाद वर्तमान सरकार ने आंकड़े छुपा लिए।
उन्हें कभी सार्वजनिक नहीं किया। हमारी पार्टी सड़क से संसद तक यह लड़ाई लड़ती रहेगी।
उन्होंने सवाल किया है कि सभी धर्मों के लोगों को भी गिना जाता है लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े को क्यों नहीं गिनते? पिछड़े-अतिपिछड़े संख्याबल में सबसे ज्यादा हैं। सरकार चलाने वाले को डर है कि अगर पिछड़ों की आबादी के सही आंकड़े आ गए तो लोग उसी आधार पर अपना हक मांगने लगेंगे। कथित एनपीआर और एनआरसी और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे।
सुना है एनपीआर में कई अलग-अलग कॉलम जोड़ रहे है। ऐसे में जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है? अगर पिछड़ों-अतिपिछड़ों की जातीय जनगणना नहीं होगी तो उन वर्गों के शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक उत्थान एवं कल्याण के लिए योजनाएं कैसे बनेगी?
आपको याद दिला दें कि जब संसद में 2011 की जनसंख्या रिर्पोट पेश की गई थी, तब राजद और समाजवादी पार्टी समेत अन्य कई राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की मांग की थी। लालू यादव के ताजा बयान से एक बार फिर यह मामला तूल पकड़ सकता है। गौरतलब है कि फिलहाल नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लगातार देशभर में विरोध किया जा रहा है। देश के कई जगहों पर इसके खिलाफ हिंसा की खबर आई है।
यूपी और दिल्ली में ऐहतियाती तौर पर इंटरनेट को बंद किया गया तो वहीं देश के अन्य हिस्सों में इसको लेकर कदम उठाए गए। उधर, विपक्षी दलों की तरफ से लगातार इसके खिलाफ देशभर में आंदोलन जारी है।