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पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि ऐसी शिकायतें पुलिस को मिली हैं कि शादी-वगैरह के भी कार्यक्रम में कुछ लोगों को शराब पिलाने का इंतजाम रहता है। पुलिस को कहीं से कोई सूचना मिल रही है तो उसके हिसाब से वह वहां जाकर कार्रवाई कर रही है। इसके लिए तो किसी को चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जब गड़बड़ करते ही नहीं हैं तो क्या दिक्कत है? मुख्यमंत्री सोमवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। पत्रकारों ने सवाल किया था कि राज्यभर में छापेमारी हो रही है, जिसकी प्रशंसा हो रही है। पर, इनमें कई जगहों से शिकायतें भी आ रही हैं कि पुलिस शादी-समारोह में अचानक पहुंच कर तलाशी ले रही है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बहुत अच्छा है कि कहीं के बारे में पता चला तो पुलिसवालों ने कार्रवाई की। उन्होंने यह भी कहा कि इसकी जानकारी हमलोगों को नहीं है। जो न्यूज आता है, उसी को देखते हैं और इसके बारे में जानकारी लेते हैं। आज ही जो न्यूज आया है, उसके बारे में हमारे कार्यालय के पदाधिकारी पूछताछ भी कर रहे हैं।

पटना: बिहार में जहरीली शराब से 70 से ज्यादा मौतों को लेकर आलोचना झेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को समीक्षा बैठक की। हालांकि शराबबंदी को सख्ती से लागू करने को लेकर मिले तमाम सुझावों और उपायों के बीच नीतीश कुमार ने भी माना कि राजधानी पटना में शराब बिक भी रही है औऱ लोग पी भी रहे हैं। वहीं बैठक में शामिल अध‍िकारियों ने माना कि जहरीली शराब जैसी घटनाओं को कैसे रोका जाए, इसे लेकर मुख्‍यमंत्री ने कोई निर्देश नहीं दिए हैं।

बैठक से यह बात भी निकलकर आई कि बिहार में शराबबंदी के बाद 200 से ज्यादा पुलिस स्टेशन में शराब के सेवन या बरामदगी से जुड़ा कोई केस नहीं दर्ज हुआ है। मगर 2016 से अब तक करीब साढ़े 5 साल में शराबबंदी से जुड़े नियमों के उल्लंघन के 4 लाख से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। लेकिन महज 1150 मामलों में ही दोषियों को सजा हो पाई है। यह कुल मामलों का आधा फीसदी भी नहीं है।

बैठक के बाद बिहार के गृह सचिव चैतन्य प्रसाद ने कहा कि सरकारी कर्मियों और अधिकारियों के बारे में शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई होगी।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी नीति को और प्रभावी करने के लिए कमर कस ली है। इस क्रम में उन्होंने शराबबंदी नीति पर विचार करने के लिए अपने मंत्री सहयोगियों के साथ बैठक बुलाई है। सीएम की यह बैठक जहरीली शराब के सेवन से 40 से अधिक लोगों की मौत के बाद सामने आई है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंध के कारण लोग खुद को अवैध शराब के सेवन से रोक नहीं पा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार द्वारा बैठक बुलाने को इस बात के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि वह नीति पर पुनर्विचार करेंगे, बल्कि यह इस बात पर चर्चा करने के लिए है कि ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं और नीति के किन हिस्सों में सुधार की आवश्यकता है।

जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने शानदार चुनावी जीत के साथ पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद 2015 में बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध अप्रैल 2016 से लागू हुआ था। बिहार में शराबबंदी को लेकर तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी कई बार नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।

पटना: बिहार में शराब से हुई मौतों पर सीएम नीतीश कुमार ने विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। नीतीश ने कहा, मैं बार-बार कह रहा हूं कि अगर आप गलत चीज का इस्तेमाल करेंगे तो ऐसी स्थिति आएगी। मैंने अधिकारियों से बात की है, त्योहार के बाद इस पर विस्तार से समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि एक कैंपेन चलाए जाने की जरूरत है कि बताया जाए कि शराब खराब है और इस पर पाबंदी सही है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। 

मंत्री ने बताया साजिश 

वहीं, बिहार सरकार के मंत्री जनक चमार ने घटना स्थल का दौरा किया और नकली शराब के बहाने साजिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इसके सेवन करने वाले लोग गरीब हैं। जब कार्रवाई और छापेमारी की जाती है, तो कमजोरों को पकड़ा जाता है। कार्रवाई के चलते कमजोर लोग मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में पुलिस का खौफ नहीं दिख रहा है।

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