पटना: बिहार में कानून का राज है और कानून का राज रहेगा, जंगल राज न है और न ये कभी आएगा। ये कहना हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जो इन दिनों हर घटना के बाद जंगल राज की वापसी पर विपक्षी दलों और मीडिया के निशाने पर रहते हैं। मुख्यमंत्री ने रविवार को कर्पूरी जयंती के अवसर पर अपने भाषण में खुल कर इसका जवाब दिया। नीतीश ने पूछा, 'कहां जंगल राज है, आखिर किस गुनहगार को बचाने की कोशिश की गयी है।' अपने पार्टी विधायक सरफ़राज़ आलम के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे रवैये को वो बर्दाश्त नहीं करते और पार्टी के वो चाहे मंत्री हों या संसद या विधायक, सबके लिए एक कोड ऑफ़ कंडक्ट है।
कोई उसके बाहर जाएगा तो उसपर कर्रवाई होगी, वो किसी की परवाह नहीं करते। नीतीश कुमार ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से पूछा कि जब वो सहयोगी रहे थे तो वो क्यों नहीं बताते कि आखिर किसको बख्शा गया। कानून के सामने सब बराबर हैं, ये कहते हुए नीतीश ने कहा कि बीजेपी बताये कि कहां पुलिस के कामों में हस्तक्षेप किया गया। हाल में लालू यादव द्वारा दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फ़ोन किये जाने और पटना के इंदिरा गांधी मेडिकल इंस्टिट्यूट में उनके निरीक्षण पर बीजेपी नेता सुशील मोदी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि वो आखिर किस हैसियत से जनता दरबार लगते हैं और कैसे पाटलिपुत्र स्टेशन का निरीक्षण करने पहुंच गए। लालू यादव को सुपर चीफ मिनिस्टर बताये जाने पर भी नीतीश कुमार ने सार्वजनिक मंच से उनका बचाव किया और फिर सवालिया लहजे में पूछा कि बीजेपी नेता क्या किसी जिला अधिकारी, पुलिस अधिक्षक, थाने में कभी फ़ोन नहीं करते। क्या सार्वजनिक जीवन में रहने वाला व्यक्ति जनता की समस्या पर पूछताछ नहीं कर सकता? नीतीश ने अपने भाषण में दावा किया कि हाल के दिनों में जितनी भी आपराधिक वारदात हुई हैं, उनमें से अधिकांश मामले सुलझा लिए गए हैं। अधिकांश मामलों में अपराधी भी सलाखों के पीछे हैं। निश्चित रूप से नीतीश अब हाल के दिनों में आपराधिक वारदात पर विपक्ष के आक्रामक तेवर और मीडिया में अपनी हो रही आलोचना के बाद फिर से मुखर हुए हैं। उनका प्रयास है कि हर सार्वजनिक मंच से विपक्ष के हमले का जवाब दिया जाये।