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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में आगामी एक अप्रैल से पूर्ण शराब बंदी के अपने संकल्प को दोहराते हुए आज (गुरूवार) कहा कि वे इसे सामाजिक आंदोलन का रूप देना चाहते हैं, लेकिन बगैर जनसहयोग और जनचेतना के परिणाम प्राप्त नहीं किया जा सकता। यहां श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मद्य निषेध अभियान का शुभारंभ करते हुए नीतीश ने राज्य में आगामी एक अप्रैल से पूर्ण शराब बंदी के अपने संकल्प को दोहराते हुए आज कहा कि वे इसे सामाजिक आंदोलन का रूप देना चाहते हैं, लेकिन बगैर जनसहयोग और जनचेतना के परिणाम प्राप्त नहीं किया जा सकता। नीतीश ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने वही किया है जो कि जन आकांक्षा थी, पर अब सबका सहयोग चाहिए।

गल्तियां निकालने तथा लोगों को दिग्भ्रमित करने के बजाय इसमें सहयोग करें। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने शराब बंदी में विदेशी शराब को शामिल नहीं किये जाने पर एतराज जताते हुए कहा कि इसे क्यों छोड़ दिया गया तो उनसे हमने कहा कि अगले चरण में उसे भी प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। नीतीश ने कहा कि वर्तमान में देशी और मसालेदार शराब की खपत का दायरा बडा होने के कारण उसकी बिक्री पर प्रथम चरण में रोक लगायी गयी है। उन्होंने कहा कि विदेशी शराब की बिक्री भी निजी हाथों नहीं बल्कि सरकारी बेवरेज निगम द्वारा नगर निगम और जिला परिषद के शहरी इलाकों में ही की जाएगी और साथ ही उसकी भी निगरानी की जाएगी। नीतीश ने कहा कि शराब बंदी के कारण बेरोजगार होने वालों के लिए सरकार वैकल्पिक रोजगार के तौर पर इच्छुक लोगों की दुकानों में सुधा का काउंटर खुलवाने में सरकार मदद करेगी जिसके माध्यम वे दूध एवं उसके उत्पाद बेचे। उन्होंने कहा कि शराब का रोजगार एक ऐसा काम है जो लोगों के जीवन को बर्बाद कर रहा है।

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