ताज़ा खबरें
केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार
गौतम अडानी पर रिश्वत देने, धोखाधड़ी के आरोप, यूएस में मामला दर्ज

पटना: चुनावी मैदान में जाने से पहले घोषित अपने सभी सात निश्चयों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अप्रैल से लागू करने का ऐलान किया है। बुधवार को स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक में इन सात निश्चयों में से एक छात्रों के लिए शुरू होने वाली योजना का प्रारूप भी बताया। सीएम ने कहा कि बैंकों का अपना एटीट्यूड (रवैया) है। इंटरनल चीप लगा रखे हैं। मात्र एक फीसदी छात्रों को कर्ज मिल रहा है। बैंकों से छात्रों को कर्ज मिलने में हो रही परेशानी को देखते हुए ही स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत चार लाख तक का कर्ज देने की योजना बनी है। योजना का मूल मकसद ग्रॉस इनरॉलमेंट रेशियो (जीआईआर) को बढ़ाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयास से प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी। स्कूल से बाहर रहे बच्चों की संख्या भी कम गई, लेकिन उच्च शिक्षा में जीआईआर का रेशियो 13 फीसदी है। अर्थात 12वीं से आगे की पढ़ाई 13 फीसदी छात्र ही कर रहे हैं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसे हर हाल में 50 फीसदी के ऊपर ले जाना है। सरकार की भावना को समझते हुए बैंक सहयोग करें। समावेशी विकास व न्याय के साथ विकास के लिए यह जरूरी है कि शिक्षा के क्षेत्र में हम और सुधार करें। बिहार की तरक्की के बगैर देश की तरक्की नहीं हो सकती।

बिहार की आबादी 8.4 फीसदी है लेकिन हम देश के जीडीपी में तीन फीसदी ही योगदान कर रहे हैं। सीएम ने कहा कि छात्रों को कर्ज देने में बैंक को जो भी चाहिए, हम गारंटी देने के लिए तैयार हैं। जिलाधिकारी की देख-रेख में जिलों के निबंधन केंद्र में छात्रों का जिलास्तर पर पंजीकरण होगा। बैंक के फॉर्मेट में हम छात्रों से आवेदन लेंगे। फिर छात्रों को जरूरत के अनुसार स्वयं सहायता भत्ता, कौशल विकास या चार लाख तक का कर्ज उपलब्ध कराएंगे। एक से अधिक की सहायता न मिल जाए, इसकी निगरानी होगी। योजना को लागू करने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही हे। पूरी प्रक्रिया तैयार कर इस योजना को एक अप्रैल से हर हाल में लागू किया जाएगा। मुख्य सचिव व वित्त सचिव को कहा कि वे इस मसले पर शीघ्र ही बैंकों से बातचीत करें। बैंकों की सुरक्षा पर सीएम ने कहा कि इसे हमें चुनौती के रूप में लेना होगा। अरब-खरब का कारोबार कर रहे बैंकों को 15-20 लाख की डकैती से भले ही कोई फर्क नहीं पड़ता हो पर राज्य में उस घटना का अलग प्रभाव होता है। बैंकों का सिक्यूरिटी ऑडिट होनी चाहिए। सीसीटीवी या अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग हो। तय हो कि कम से कम इतनी सुरक्षा रहेगी। राशि लाने-ले जाने में एक सिक्यूरिटी प्रोटोकॉल बने। अगर कोई उसका उल्लंघन करे तो उस पर आपराधिक मुकदमा करने के साथ ही नौकरी से बर्खास्त किया जाए। बैंकों में काम करने वालों पर नजर हो। 2015 में हुई 10 बैंक डकैती में से नौ का उद्भेदन कर 38 को गिरफ्तार किया गया। छह रॉबरी में से तीन का उद्भेदन हुआ और 13 गिरफ्तार हुए।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख