नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस नीत सरकार पर संकट के बादल मंडराने के बीच वहां के राज्यपाल लालजी टंडन ने मंगलवार को यहां कहा कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और राजभवन पहुंचने के बाद कोई फैसला लेंगे। टंडन ने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा कि वह मध्य प्रदेश में हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं उन्हें जो फैसला करना होगा वह राजभवन पहुंचकर करेंगे। इस सवाल पर कि क्या वह मध्य प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक सूरतेहाल के मद्देनजर सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा दावा करने वाली अन्य पार्टी को बहुमत साबित करने के लिए आमंत्रित करेंगे, टंडन ने कहा कि अभी वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा "अभी मैं यहां दर्शक हूं, जब तक मैं वहां जाता नहीं हूं जो पत्र आए हैं जो लोगों ने शिकायत की होगी तो सारी चीजें देखने के बाद कोई टिप्पणी कर सकता हूं, अभी मैं होली में सब से मिलने के लिए घर पर बैठा हूं।"
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद 22 अन्य पार्टी विधायकों ने भी त्यागपत्र दे दिया है। इससे प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिधिया ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है।
उनके मंगलवार को भाजपा में शामिल होने के क़यास लगाए जा रहे थे। लेकिन बाद में ख़बर आई कि सिंधिया आज भाजपा ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। 12 मार्च को वो भाजपा का दामन थाम सकते हैं। इन सबके बीच कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल हैं क्योंकि सरकार के साथ रहे 21 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। माना जा रहा है कि इनमें ज़्यादातर ज्योतिरादित्य सिंधिया के क़रीबी हैं।
दिल्ली से भोपाल तक बैठकों का भी दौर है। दिल्ली में भाजपा चुनाव समिति की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा शामिल हुए। होली के दिन बगावत की शुरुआत सुबह साढ़े 10 बजे के आसपास हुई जब वो अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिये गए। दोनों अमित शाह की गाड़ी में साथ दिखे।
सिंधिया ने अपने इस्तीफ़े को जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वो कांग्रेस में रहकर अपने प्रदेश और देश की सेवा नहीं कर सकते हैं। कुछ देर बाद ही कांग्रेस की प्रमुख सोनिया गांधी ने सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निकाल दिया। सारा विवाद मध्य प्रदेश की राज्यसभा सीट को लेकर बढ़ा। कांग्रेस की एक सीट पर तो जीत एकदम पक्की है लेकिन दूसरी के लिए उसे बाहर के 2 विधायकों की ज़रूरत थी। कहा जा रहा है कि सिंधिया वो सीट चाहते थे जो एकदम पक्की है और जिसे दिग्विजय सिंह के लिये रखा गया है।