नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद करारा झटका लगा है। छह मंत्रियों समेत पार्टी के 22 विधायकों ने मंगलवार को अब तक इस्तीफा दे दिया। इनमें से 19 विधायक बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में थे। इन सभी विधायकों ने इस्तीफा सौंपने के बाद एक तस्वीर भी खिंचवाई, जिसमें सभी इस्तीफे का पत्र लिए हुए देखे जा सकते हैं। इस्तीफा देने वाले छह मंत्रियों में तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी शामिल हैं।
इसके बाद कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इन मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की है। हालांकि, राज्यपाल लालजी टंडन अभी लखनऊ स्थित अपने आवास में हैं और कोई फैसला नहीं लिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक बिसाहूलाल सिंह ने भी शिवराज सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस से इस्तीफा देने का एलान किया। सिंह भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले बिसाहूलाल सिंह बेंगलुरु से रविवार को भोपाल वापस आए थे और कमलनाथ के नेतृत्व पर भरोसा जताया था। इसके अलावा देवास की हाट पिपल्या विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी और एंदल सिंह कंषाना ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
इस तरह इस्तीफा देने वालों की संख्या 22 पहुंच गई।
सिंधिया के इस्तीफा देने से पहले तक मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के पास बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल था। 230 विधायकों की कुल संख्या वाली विधानसभा में अभी दो सीटें खाली थीं। कांग्रेस के 114 विधायक थे। भाजपा के पास 107 विधायक थे। वहीं, दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायक थे, जिनका समर्थन कमलनाथ सरकार को था। 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 92 पर आ गई है। यदि इसमें सात बसपा, सपा और निर्दलीय विधायक भी जोड़ दिए जाएं तो यह संख्या 99 तक ही पहुंचेगी। वहीं, भाजपा के पास 107 विधायक हैं। इस्तीफा स्वीकार होने के बाद विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 206 हो जाएगी और बहुमत की संख्या 104 होगी। ऐसे में बहुमत भाजपा के पास है। यदि 16 मार्च से शुरू हो रहे मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र में भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है तो फिर कमलनाथ सरकार गिर जाएगी।
वहीं, मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व मुख्य सचिव भगवानदेव इसरानी ने कहा, 'विधायकों ने राज्यपाल को इस्तीफा देने के लिए पत्र भेजा होगा ताकि उन्हें सुझाव दिया जा सके कि कांग्रेस सरकार अब अल्पमत में आ गई है। हालांकि, जहां तक विधायक के इस्तीफे का सवाल है, वह राज्यपाल नहीं, बल्कि विधानसभा के अध्यक्ष स्वीकार करेंगे। वह ही किसी विधायक के त्याग पत्र को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए अधिकृत है।'