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मुंबई: विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद शिवसेना और भाजपा शासित बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने नगर निगम के सभी स्कूलों में योग और ‘सूर्य नमस्कार’ को अनिवार्य करने संबंधी एक प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी। प्राचीन अभ्यास और परंपरा को छात्रों के जीवन में शामिल कर उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से भाजपा पार्षद समिता कांबले ने कल प्रस्ताव पेश किया, जिसे बीएमसी की आम सभा ने हरी झंडी दे दी। सत्तारूढ़ गठबंधन ने योग को स्कूलों के लिए वैकल्पिक बनाने के कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के संशोधनों को भी खारिज कर दिया। इसके अलावा सूर्य नमस्कार को हटाये जाने की सपा की मांग को भी खारिज कर दिया गया। समाजवादी पार्टी की पार्षद रईस शेख ने यह कहते इसका विरोध किया था, ‘स्कूलों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य बनाया जाना एक तरीके से हिंदुत्व को बढ़ावा देना है क्योंकि सूर्य नमस्कार की बुनियाद हिंदू देवता सूर्य से जुड़ी हुई है।’ उन्होंने दावा किया कि अगर बीएमसी इसे अनिवार्य बनाती है तो मुस्लिम अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देंगे। आम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव को अब नगर आयुक्त अजय मेहता को भेजा जायेगा जो इस पर अंतिम निर्णय करेंगे।

मुंबई: हिंदू जनसंख्या में गिरावट आने के बारे में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत की ओर से की गई टिप्पणियों को ‘दकियानूसी’ बताते हुए शिवसेना ने कहा कि प्रगतिशील हिंदू समाज उनके विचारों को स्वीकार नहीं करेगा। इसके साथ ही शिवसेना ने केंद्र से कहा कि वह ‘सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन’’ बनाए रखने के लिए समान नागरिक संहिता लागू करे। लंबे समय से भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना ने कहा कि मुस्लिमों की बढ़ती आबादी से निपटने के लिए हिंदुओं की आबादी को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, नरेंद्र मोदी की सरकार को जल्दी से जल्दी समान नागरिक संहिता लागू करनी चाहिए। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘मोहन भागवत ने दकियानूसी विचारों को आधुनिक तरीके से पेश करने की कोशिश की है। उनकी टिप्पणियों को प्रगतिशील हिंदू समुदाय स्वीकार नहीं करेगा। प्रधानमंत्री मोदी भी इस बात पर सहमत नहीं होंगे कि हिंदू आबादी को बढ़ाना मुस्लिमों की बढ़ती आबादी से निपटने का सही तरीका है।’ इसमें कहा गया, ‘सरकार परिवार नियोजन पर बहुत धन खर्च कर रही है। मुस्लिम आबादी में बढ़ोत्तरी से निश्चित तौर पर देश का सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन प्रभावित होगा लेकिन हिंदुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए कहना इस समस्या का समाधान नहीं है।’ शिवसेना ने कहा, ‘सभी समुदायों की जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए एकमात्र उपाय समान नागरिक संहिता को लागू करना है।

मुंबई: चमड़े का एक थैला ले कर ऑटो से जा रहे 24 साल के एक व्यक्ति को उस समय परेशानी का सामना करना पड़ा जब ऑटो के चालक को संदेह हुआ कि इस व्यक्ति का थैला गाय के चमड़े से बना हुआ है। यह घटना शुक्रवार को अंधेरी उपनगर में हुई। वरूण कश्यप नामक यह व्यक्ति ऑटो रिक्शा से अपने कार्यालय जा रहा था। उसके ड्राइवर को संदेह हुआ कि उसका थैला गाय के चमड़े से बना है। एक निजी कंपनी में क्रिएटिव निदेशक के पद पर कार्यरत कश्यप ने अपने फेसबुक पोस्ट पर बताया ‘मैं ऑटो से काम पर जा रहा था। मेरे लंबे बालों और नाक में छेद देख कर ऑटो वाले को शुरू से ही मुझ पर संदेह हुआ और वह मुझे पूछताछ करने लगा। फिर उसने ट्रैफिक सिग्नल पर ऑटो रोका और मेरे चमड़े के थैले को देखने लगा।’ असम निवासी कश्यप ने बताया कि फिर चालक ने उनका थैला छुआ और कहा कि यह गाय के चमड़े से बना है। कश्यप ने इससे इंकार किया और बताया कि यह थैला उंट के चमड़े बना है और उन्होंने इसे पुष्कर से खरीदा है। लेकिन जवाब से असंतुष्ट चालक ने कार्यालय जाने के रास्ते में पड़ने वाले एक मंदिर पर गाड़ी रोक दी। कश्यप के अनुसार, ‘इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता, चालक ने मंदिर के सामने धूम्रपान कर रहे तीन लोगों को इशारे से बुलाया। उनके आने पर सबने मराठी में बात की जो मैं नहीं समझ पाया। उन्होंने मुझे ऑटो से उतरने को कहा। मैंने मना किया। तभी उनमें से एक व्यक्ति ने मेरे थैले की जांच की।

मुंबई: बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने लाइसेंस नहीं होने के बावजूद कार चलाने वाले नाबालिग लड़के के पिता पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। लड़का 14 नवंबर, 2015 को अपने परिवार की कार चला रहा था, जो दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दौरान पीछे की सीट पर बैठा उसका नाबालिग मित्र घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कार चलाने वाले लड़के के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने के संबंध में वरसोवा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था। हालांकि बाद में दोनों बच्चों के माता-पिता के बीच सुलह हो गई और उन्होंने उच्च न्यायालय में संयुक्त याचिका दायर कर प्राथमिकी खारिज करने की अपील की। न्यायमूर्ति नरेश पाटिल की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक हालिया आदेश में कहा, 'सामान्य परिस्थितियों में हम दोनों पक्षों को कोई जुर्माना लगाए बिना या मामूली जुर्माना देने पर प्राथमिकी खारिज करने की अनुमति दे देते, लेकिन इस मामले से संबंधित तथ्य परेशान करने वाले हैं।' पीठ के कहा, 'वाहन के मालिक यानी याचिकाकर्ता के पिता ने अपने बेटे को चौपहिया वाहन चलाने की अनुमति दी, जिसके कारण प्रतिवादी का नाबालिग बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया। हम सरकारी अभियोजक की इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि इस मामले के जरिए समाज में संदेश देने की आवश्यकता है। इस स्थिति में किसी अन्य यात्री या तीसरे पक्ष को भी गंभीर नुकसान हो सकता था. सौभाग्य से ऐसा नहीं हुआ।

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