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पुणे: माओवादियों के साथ कथित ‘‘संबंधों’’ के लिए गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति के घर से मिले एक पत्र में कहा गया है कि माओवादी ‘‘राजीव गांधी हत्याकांड जैसी घटना’’ (को अंजाम देने) पर विचार कर रहे हैं और इसमें सुझाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ‘‘रोड शो’’ के दौरान निशाना बनाया जाए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार यह पत्र ‘आर’ नाम के किसी व्यक्ति ने किसी कॉमरेड प्रकाश को पत्र भेजा है। इसमें एम-4 रायफल खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये की और साथ ही घटना को अंजाम देने के लिए चार लाख राउंड गोला बारूद की जरूरत की बात की गयी है।

पुलिस ने बताया कि पत्र रोना विल्सन के घर से बरामद किया गया जिन्हें हाल में मुंबई, नागपुर एवं दिल्ली से पांच दूसरे लोगों सहित गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों को दिसंबर में यहां आयोजित किए गए ‘एलगार परिषद’ और उसके बाद जिले के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया। पांचों को कल सत्र अदालत में पेश किया गया था जिसने उन्हें 14 जून तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। पत्र में लिखा है, ‘‘हिंदू फासीवाद को हराना हमारा मूल एजेंडा रहा है और यह पार्टी की एक प्रमुख चिंता है।

नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी-शाह की जोडी अपने सहयोगियों को मनाने में जुटी है। वही शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी को कल हुई मुलाकात के बाद बड़ा झटका दे दिया है। ‘संपर्क फॉर समर्थन’ के तहत बुधवार शाम भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुंबई के मातोश्री में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। लेकिन इस मुलाकात पर पानी फेरते हुए अगले ही दिन शिवसेना नेता संजय राउत ने ऐलान किया कहा कि हम 2019 में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।

गौरतलब है कि बीते दिनों उप-चुनाव और महाराष्ट्र की सियासत को लेकर भाजपा-शिवसेना के बीच तल्खी को कम करने के लिए अमित शाह ने मुंबई के मातोश्री में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद माना जा रहा था कि दोनों दलों के बीच तनाव खत्म करने की दिशा में प्रयास शुरू हो चुका है और आने वाले दिनों में इससे में कमी आएगी और दोनों दल फिर साथ हो जाएंगे। लेकिन संजय राउत के इस ताजा ऐलान के बाद भाजपा की मुश्किलें घटने की बजाए अब बढ़ती हुई दिख रही है।

नई दिल्ली: कांग्रेस की परंपरा में रचे बसे दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्‍ट्रीय स्वयं सेवक संघ आरएसएस के नागपुर मुख्यालय में एक बार फिर दोहराया कि असहिष्णुता केवल हमारी राष्ट्रीय पहचान को कमजोर करेगी। राष्ट्रपति रहते हुए प्रणब मुखर्जी भाजपा के सत्ता पर काबिज होने के बाद सामजिक समरसता और मेलजोल की संस्कृति पर जोर देते रहे हैं। पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन के बाद के संबोधन के लिए आए। उन्‍होंने कहा कि आज मैं राष्‍ट्र, राष्‍ट्रवाद, देशभक्‍ति पर अपनी बात आपके साथ साझा करूंगा।

प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में भारत के इतिहास, उसकी संस्‍कृति, धर्म, भाषा, प्रांत सभी का जिक्र किया। भारत की विशालता का जिक्र करते हुए उन्होंने डॉ. मुखर्जी के एक वक्तव्य को दोहराया कि भारत हमेशा से खुला समाज रहा है। जो यहां आया वह यहीं का होकर रह गया। उन्‍होंने कहा कि धर्म के आधार पर राष्‍ट्र की अवधारणा गलत है।प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म, हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे अस्तित्व को ही कमजोर करेगा। भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं, हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैंं। 

नागपुर: कांग्रेस की परंपरा में रचे बसे दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने संघ मुख्‍यालय पहुंचे। नागपुर में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्‍थापक केबी हेडगेवार की जन्‍मस्‍थली पहुंचे प्रणब मुखर्जी का स्‍वागत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया। पूर्व राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को 'भारत माता का एक महान सपूत' बताया। मुखर्जी ने हेडगेवार के जन्मस्थल का दौरा किया और आगंतुकों के लिए मौजूद किताब में लिखा, "मैं आज यहां भारत माता के महान सपूत को मेरी श्रद्धांजलि और सम्मान पेश करने आया हूं।"

सूत्रों ने बताया कि इस मौके पर सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य मौजूद थे जिन्हें विशेष अतिथि के रुप में निमंत्रित किया गया था। मुखर्जी तंग गलियों से गुजरते हुए उस मकान तक पहुंचे जहां हेडगेवार पैदा हुए थे। मकान में प्रवेश से पहले उन्होंने अपने जूते उतारे। वहां आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उनका स्वागत किया। सूत्रों के अनुसार हेडगेवार को श्रद्धांजलि देने से जुड़ी मुखर्जी की यह यात्रा उनके निर्धारित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी और पूर्व राष्ट्रपति ने अचानक ऐसा करने का निर्णय लिया।

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