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नई दिल्ली: कांग्रेस की परंपरा में रचे बसे दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्‍ट्रीय स्वयं सेवक संघ आरएसएस के नागपुर मुख्यालय में एक बार फिर दोहराया कि असहिष्णुता केवल हमारी राष्ट्रीय पहचान को कमजोर करेगी। राष्ट्रपति रहते हुए प्रणब मुखर्जी भाजपा के सत्ता पर काबिज होने के बाद सामजिक समरसता और मेलजोल की संस्कृति पर जोर देते रहे हैं। पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन के बाद के संबोधन के लिए आए। उन्‍होंने कहा कि आज मैं राष्‍ट्र, राष्‍ट्रवाद, देशभक्‍ति पर अपनी बात आपके साथ साझा करूंगा।

प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में भारत के इतिहास, उसकी संस्‍कृति, धर्म, भाषा, प्रांत सभी का जिक्र किया। भारत की विशालता का जिक्र करते हुए उन्होंने डॉ. मुखर्जी के एक वक्तव्य को दोहराया कि भारत हमेशा से खुला समाज रहा है। जो यहां आया वह यहीं का होकर रह गया। उन्‍होंने कहा कि धर्म के आधार पर राष्‍ट्र की अवधारणा गलत है।प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म, हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे अस्तित्व को ही कमजोर करेगा। भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं, हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैंं। 

प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'भारत एक पुरानी सभ्‍यता और समाज है और विविधता में एकता हमारी ताकत है। हमारी राष्‍ट्रीय पहचान कई चीजों से बनी।' उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रवाद किसी धर्म या भाषा से नहीं बंधा। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर राष्‍ट्र की परिभाषा गलत, वसुधैव कुटुंबकर भारत का मंत्र रहा है। अपने संबोधन में डॉ. मुखर्जी ने कहा कि कॉलोनियन सिस्‍टम ने यहां कब्‍जा जमाया। उन्‍होंने अंग्रेजों के आगमन और उसके विस्‍तार की चर्चा की।

डॉ. मुखर्जी ने कहा कि तीन युद्ध के बाद ईस्‍ट इंडिया कंपनी ने देश के एक बड़े भू-भाग पर कब्‍जा कर लिया। इसने एक एकीकृत शासन व्‍यवस्‍था को स्‍थापित किया। इसका संचालन गवर्नर जनरल के जरिए होने लगा। डॉ. मुखर्जी ने अपने संबोधन में भारत के व्‍यापार और उसके विस्‍तार की चर्चा की। यहां के धर्म और उसके प्रसार की चर्चा की। डॉ. मुखर्जी ने भारत के ऐतिहास शिक्षण स्‍थल का जिक्र किया और कहा कि इस मामले में भारत हरदम समृद्ध रहा है। इस समारोह में बुलाने के लिए डॉ. मुखर्जी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत का आभार जताया।

हमारी पहचान हजारों वर्षों से विविधता में एकता की रही है: भागवत

संध प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम केवल संघ का काम नहीं है। इसे देखने के लिए अनेक महापुरुष आते रहते हैं। उनसे पथ प्रदर्शन प्राप्‍त करते हैं। उस सत्‍य पथ पर चलें हम सब ऐसी हमारी आदत हो, हमारी बुद्ध‍ि हो, ऐसा आचरण वाला संघ कार्यकर्ता तैयार करता है। आप इसे देखिए, परखिए और इसके सहभागी बन सकते हैं तो बनिए। हमें किसी का विरोध नहीं है। संघ प्रमुख ने कहा, 'आदर्श और सुविचार की कमी नहीं है, परन्‍तु व्‍यवहार के मामले में हम निकृष्‍ट थे, अब उसमें सुधार हुआ है। 1925 से संघ चला। धीरे धीरे आगे बढ़ता गया। सब बाधाओं को पार करता हुआ आगे बढ़ा। राष्‍ट्र को परमवैभव प्राप्‍त हो ये संघ का लक्ष्‍य है। यहां अपेक्षा कुछ नहीं करते हैं। सारे नेकी का काम करते हैं बिना किसी उम्‍मीद के।' उन्होंने कहा कि आरएसएस पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है, हमारे लिए कोई भी बाहरी नहीं है। 

संघ प्रमुख ने कहा, 'हमें दूसरों का आदर करना है और उनकी पसंद का भी, तभी हम एक हो सकते हैं। हमारे मूल्‍य एकता पर आधारित हैं और दूसरों का महत्‍व पहचानने के स्वाभाविक गुण की वजह से ही हम ऐसे बने हैं।' राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ संपूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है। उन्‍होंने कहा कि हमारी पहचान हजारों वर्षों से विविधता में एकता की रही है। संघ प्रमुख ने कहा कि इस देश को खड़ा करने में अनेक महापुरुषों ने त्‍याग किया है। उन्‍होंने कहा कि ये केवल नागरिकता की बात नहीं है। यहां पर जन्‍म लेने वाला प्रत्‍येक नागरिक भारत पुत्र है। यही सबकी पहचान है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, डॉ. प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में क्‍यों आए, इस पर चर्चा व्‍यर्थ है। संघ संघ है और डॉ. प्रणब मुखर्जी डॉ. प्रणब मुखर्जी हैं।' डॉ. प्रणब मुखर्जी को हमने सहज रूप से आमंत्रण दिया और उन्‍होंने हमारा स्‍नेह पहचान कर सहमति दी। उनके कैसे बुलाया ओर वो कैसे जा रहे हैं, ये चर्चा निरर्थक है।

संघ संस्‍थापक हेडगेवार को प्रणब मुखर्जी ने बताया 'भारत मां का सपूत

इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने संघ मुख्‍यालय पहुंचे। नागपुर में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्‍थापक केबी हेडगेवार की जन्‍मस्‍थली पहुंचे प्रणब मुखर्जी का स्‍वागत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया। पूर्व राष्ट्रपति ने राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को 'भारत माता का एक महान सपूत' बताया। मुखर्जी ने हेडगेवार के जन्मस्थल का दौरा किया और आगंतुकों के लिए मौजूद किताब में लिखा, "मैं आज यहां भारत माता के महान सपूत को मेरी श्रद्धांजलि और सम्मान पेश करने आया हूं।" सूत्रों ने बताया कि इस मौके पर सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य मौजूद थे जिन्हें विशेष अतिथि के रुप में निमंत्रित किया गया था।

मुखर्जी तंग गलियों से गुजरते हुए उस मकान तक पहुंचे जहां हेडगेवार पैदा हुए थे। मकान में प्रवेश से पहले उन्होंने अपने जूते उतारे। वहां आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उनका स्वागत किया। सूत्रों के अनुसार हेडगेवार को श्रद्धांजलि देने से जुड़ी मुखर्जी की यह यात्रा उनके निर्धारित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी और पूर्व राष्ट्रपति ने अचानक ऐसा करने का निर्णय लिया। मुखर्जी बुधवार शाम नागपुर पहुंचे थे। आरएसएस ने उन्हें अपने शिक्षा वर्ग को संबोधित करने तथा स्वयंसेवकों के परेड का निरीक्षण करने के लिए निमंत्रित किया था। यह संघ के स्वयंसेवकों के लिए आयो जित होने वाला तीसरे वर्ष का वार्षिक प्रशिक्षण है। आरएसएस अपने स्वयंसेवकों के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण शिविर लगाता है।

बेटी समेत तामम कांग्रेसिायों ने जमकर की आलोचना

राष्ट्रपति बनने से पहले दशकों तक कांग्रेस पार्टी में रहे मुखर्जी गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। उनके इस दौरे पर क उनकी पार्टी के कई नेताओं समेत उनकी अपनी बेटी ने भी सवालिया निशान लगाया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर दौरे की कांग्रेस के नेताओं ने खुलकर आलोचना की है। प्रणब मुखर्जी द्वारा केबी हेडगेवार को 'भारत माता का सपूत' बताए जाने पर कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने कहा, 'उनके प्रति बड़ा आदर था, शायद उम्र की वजह से जाते-जाते कुछ गलत बात कर दूं ऐसा लगा होगा उनको।'

कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने ट्वीट किया कि आरएसएस मुख्यालय में अनुभवी नेता और विचारक प्रणब दा की फोटो देखकर लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं और बहुलवाद, विविधता और भारतीय गणराज्य के आधारभूत मूल्यों में विश्वास रखने वालों को पीड़ा दी है। एक अन्य ट्वीट में शर्मा ने कहा, संवाद केवल उन लोगों के साथ हो सकता है जो सुनने, ग्रहण करने और बदलने के इच्छुक हैं। यहां सुझाव देने के लिए कुछ भी नहीं है कि आरएसएस अपने मूल एजेंडे से दूर चला गया है क्योंकि यह वैधता की तलाश में है। प्रणब मुखर्जी के इस कदम पर सियासी हलचल तेज है।

कांग्रेस के तमाम नेता इस दौरे के विरोध में बोल रहे हैं। यहां तक कि प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी अपने पिता को सख्त नसीहत दे डाली है। गुरुवार शाम प्रणब मुखर्जी संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष के दीक्षांत समारोह में अपना भाषण देंगे। शाम साढ़े छह उनका भाषण होगा जो करीब 20 मिनट तक चलेगा। इससे पहले मोहन भागवत और भैयाजी जोशी के साथ 15 मिनट तक चाय पर चर्चा होगी। प्णब मुखर्जी के भाषण को लेकर उत्सुकता है क्योंकि वो कांग्रेस के नेता रहते कई बार आरएसएस की आलोचना कर चुके हैं। हालांकि संघ में पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है। संघ ने ऐसे तमाम लोगों को पहले भी अपने कार्यक्रमों में बुलाया है जिनमें दलित चिंतक दादासाहेब रामकृष्ण और वामपंथी विचारों वाले कृष्णा अय्यर जैसे लोग शामिल हैं।

प्रणब मुखर्जी का कार्यक्रम :

मोहन भागवत, भैयाजी जोशी के साथ चाय पीने का कार्यक्रम. उसके बाद संघ के प्रमुख पदाधिकारियों का प्रणब मुखर्जी से परिचय कराया जाएगा। शाम 6.15 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचेंगे। जहां वह संघ शिक्षा वर्ग में हिस्सा लेने पहुंचेंगे। इसके बाद महानगर संघ चालक का प्रस्तावित भाषण। 6.35 बजे प्रणब मुखर्जी अपना भाषण देंगे। यह भाषण करीब 20 मिनट का होगा। आख़िर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।

प्रणब की बेटी ने कहा, 'भाषण नही, तस्वीरें याद रहेंगी'

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कई कांग्रेस नेताओं के बयान के बाद अब उनके परिजन ने ही इस पर सवाल उठा दिए हैं। प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता नागपुर जाकर ‘भाजपा एवं आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने और अफवाहें फैलाने’ की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके ‘भाषण तो भुला दिए जाएंगे, लेकिन तस्वीरें (विजुअल्स) रह जाएंगी।’ शर्मिष्ठा ने भाजपा में अपने शामिल होने की अटकलों को भी सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने की बजाय राजनीति छोड़ना पसंद करेंगी।

दिल्ली कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा ने अपने पिता को सचेत भी किया कि वह आज की घटना से समझ गए होंगे कि भाजपा का दुष्प्रचार (डर्टी ट्रिक्स) विभाग किस तरह से काम करता है। उन्होंने कहा, 'यहां तक कि आरएसएस कभी यह कल्पना भी नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे। लेकिन भाषण को भुला दिया जाएगा और तस्वीरें रह जाएंगी तथा इनको फर्जी बयानों के साथ फैलाया जाएगा।' उन्होंने कहा, 'आप नागपुर जाकर भाजपा/आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने, अफवाहें फैलाने और इनको किसी न किसी तरह विश्वसनीय बनाने की सुविधा मुहैया करा रहे हैं और यह तो सिर्फ शुरुआत भर है।'

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