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मुंबई: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर चल रही खींचतान के बीच ‘शोले’ फिल्म में रहीम चाचा के डायलॉग ‘...इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’ का इस्तेमाल करते हुए शिवसेना ने देश में आर्थिक सुस्ती को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है, ‘...इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’ इस डायलॉग के माध्यम से पार्टी ने देश और महाराष्ट्र में छाई आर्थिक सुस्ती को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। शोले फिल्म में यह डायलॉग रहीम चाचा (एके हंगल) का है जब गब्बर सिंह (अमजद खान) बाहर नौकरी के लिए जा रहे उनके बेटे की हत्या कर उसकी लाश एक घोड़े पर रखकर गांव में भेजता है। उस दौरान सभी गांव वाले एकदम चुप हैं और दृष्टिबाधित खान चाचा सबसे सवाल करते हैं ‘...इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’
शिवसेना ने इस डायलॉग के माध्यम से देश में आर्थिक सुस्ती और त्योहारों के मौके पर बाजारों से गायब रौनक के लिए सरकार के नोटबंदी और गलत तरीके से जीएसटी को लागू करने को जिम्मेदार बताया है।
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मुंबई: केंदीय मंत्री रामदास अठावले ने रविवार को कहा कि शिवसेना को आदित्य ठाकरे के लिए उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भाजपा ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात पर सहमत होगी। ऐेसे में शिवसेना को देवेंद्र फडणवीस को ही मुख्यमंत्री बनने देना चाहिए। बता दें कि शिवसेना राज्य में ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री चाहती है। शिवसेना कार्यकर्ता वर्ली विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ने और जीतने वाले आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के तौर देखना चाहते हैं। इसके लिए मातोश्री (ठाकरे आवास) के बाहर पोस्टर भी नजर आए थे।
अठावले ने कहा, 'मेरा फॉर्मूला है कि भाजपा और शिवसेना साथ आएं क्योंकि उनके साथ जनता का जनादेश है। एनडीए को उतनी सीटें नहीं मिली जितनी की उम्मीद थी लेकिन उसके पास बहुमत है। निश्चित रूप से मुख्यमंत्री पद का दावा भाजपा का है। शिवसेना का कहना है कि उन्हें केवल 124 सीटें दी गई थीं। उन्हें केंद्र में मंत्री पद भी दिया जा सकता था।'
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मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के बीच जारी मतभेद के कारण नई सरकार के गठन की तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री पद के लिए दोनों पार्टियों के बीच खींचतान शुरू हो गई है और अब मामला राजभवन पहुंच चुका है। इसी बीच सोमवार को शिवसेना नेता और परिवहन मंत्री दिवाकर राउते राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से मिलने राजभवन पहुंचे। शिवसेना नेता की मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए राजभवन पहुंचे। दोनों मुलाकातों की जानकारी खुद राज्यपाल भवन ने भी दी है, लेकिन कहा है कि यह दिवाली के मौके पर औपचारिक मुलाकात है।
शनिवार को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भाजपा से लिखित में आश्वासन मांगा है। उनका कहना है कि वह 50-50 फॉर्मूले और ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा से आश्वासन चाहते हैं। पहले इस तरह की संभावना थी कि भाजपा अपने दम पर सरकार गठन के लिए जरूरी 145 सीटें जीत लेगी और उसे शिवसेना का साथ लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी। मगर नतीजे उसकी आकांक्षाओं से उलट आए हैं।
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा की सहयोगी शिवसेना उसे 50:50 का फॉर्मूला याद दिला रही है। वहीं रविवार को 'सामना' के जरिए शिवसेना ने एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा है। 'सामना' शिवसेना का मुखपत्र है और उसमें उसने एनसीपी नेता शरद पावर की तारीफ की है।
शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र का परिणाम स्पष्ट है। भारतीय जनता पार्टी ने 105 सीटें जीतीं और शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। यह स्पष्ट बहुमत है लेकिन 'गठबंधन' के बावजूद दोनों दलों को बड़ी सफलता नहीं मिली है। 2014 में भाजपा ने 122 सीटें और शिवसेना ने 63 सीटें जीती थी। शिवसेना ने यह सफलता तब हासिल की जब वह बड़ी ताकत और जबरदस्त धन से टकराई। इस बार सत्तारूढ़ गठबंधन के समर्थन के बावजूद शिवसेना 56 सीटों पर रही। हालांकि यह 56 अपेक्षाकृत कम संख्या है, लेकिन महाराष्ट्र की सत्ता का 'रिमोट कंट्रोल' उद्धव ठाकरे के हाथ में है।
'सामना' में कहा गया है कि भाजपा नेताओं और अन्य नेताओं ने कहा था कि महाराष्ट्र में विपक्षी दल नहीं बचेंगे और चुनाव के बाद 'पवार पैटर्न' स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा। ग्रामीण महाराष्ट्र के लोग इस भाषा को पसंद नहीं किया और उसने महाराष्ट्र में एक मजबूत विपक्ष खड़ा किया। इसका श्रेय राज्य के लोगों को दिया जाना चाहिए।
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