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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: बरसों बाद राम भक्तों का सपना सच हो गया है। अयोध्या के राम मंदिर में गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। अब राम भक्त, भगवान राम की जन्मभूमि पर ही उनका पूजन कर पाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार के कार्यकाल में अरसों पुराना ये सपना सच हुआ है। ऐसे खास समय में अयोध्या के इतिहास को जानना भी जरूरी है। आपको बताते हैं अयोध्या में बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि से जुड़ा पूरा इतिहास।

1751: जब निहंग सिखों ने मस्जिद में लिखा था श्रीराम का नाम

यह किस्सा 1528 की है...जब मुगल शासक बाबर भारत आया। 2 साल बाद बाबर के सेनापति मीरबाकी ने अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण करवाया। ऐसा कहा जाता है कि यह मस्जिद वहीं बनाया गया, जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। लेकिन मुगलों और नवाबों के शासनकाल में हिंदू मुखर नहीं हो पाए। 19 वीं सदी में जब मुगल शासक की पकड़ भारत में कमजोर हुई, तो अंग्रेजी हुकूमत प्रभावी था। इसके कुछ दिनों बाद भगवान राम के जन्मस्थल को वापस पाने की लड़ाई शुरू हुई।

अयोध्या (जनादेश ब्यूरो): राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधन में कहा कि हमारे राम आ गए हैं। अब रामलला टेंट में नहीं रहेंगे बल्कि अब वो एक भव्य मंदिर में रहेंगे। इस मौके पर सीएम योगी ने भी आम जनता को संबोधित किया। सीएम योगी ने इस दौरान कहा कि मंदिर वहीं बना है जहां इसे बनाने का हमने संकल्प लिया था।

भारत की न्यायपालिका का आभार: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि ये सिर्फ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नहीं है। ये सर्वोच्च आदर्शों और मूल्यों की भी प्राण प्रतिष्ठा है। ये राम के रूप में राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। राम भारत की आस्था, राम भारत का विचार, राम भारत का विधान, राम भारत की चिंता, राम भारत का प्रताप है, राम प्रभाव, राम नीयत भी, राम निरंतरता भी है। राम व्यापक है। राम विश्व है। इसलिए जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है। उन्होंने कहा, मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का जिसने ये फैसला दिया। ये मंदिर न्यायबद्ध तरीके से बना है।

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा करने के वास्ते शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं की एक बैठक हुई। आप के नेताओं ने बताया कि बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल के अलावा, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, महासचिव (संगठन) संदीप पाठक, सांसद राघव चड्ढा और अन्य नेता मौजूद थे।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘नेताओं ने पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों पर चर्चा की। सीट-बंटवारे की संभावना जैसे कई अन्य मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया, लेकिन चर्चा अधूरी रही। आने वाले दिनों में और बैठकें होंगी।''

आप और कांग्रेस, दोनों विपक्षी ‘इंडिया' गठबंधन के साझेदार हैं। दोनों दल दिल्ली और पंजाब सहित अन्य राज्यों के लिए सीट-बंटवारे पर बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, दोनों पार्टियों के सूत्रों ने दावा किया है कि उनकी प्रदेश इकाइयां चुनाव के लिए उनके बीच गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं।

नई दिल्ली: म्यांमार में बढ़ती विद्रोही ताकतों और जुंटा-शासन के बीच तेज हो रही लड़ाई के बीच, म्यांमार सेना के सैकड़ों जवान भारत की ओर भाग रहे हैं। मिजोरम सरकार ने इस घटनाक्रम के बारे में केंद्र सरकार को सचेत किया है। साथ ही जल्द यह यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि पड़ोसी देश के सैनिकों को वापस भेजा जाए। तेज होती झड़पों के बीच म्यांमार सेना के करीब 600 सैनिक भारत में घुस आए हैं। उन्होंने मिजोरम के लांग्टलाई जिले में शरण ले रखी है।

अराकन आर्मी ने सैनिक शिविरों पर किया कब्जा

सरकारी सूत्रों के मुताबिक पश्चिमी म्यांमार राज्य के रकाइन में एक जातीय सशस्त्र समूह अराकन आर्मी (एए) के उग्रवादियों ने उनके शिविरों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि सैनिकों को असम राइफल्स शिविर में आश्रय दिया गया है। मिजोरम के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने शिलांग में हुई पूर्वोत्तर परिषद की बैठक के पूर्ण सत्र में गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे पर बातचीत की। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मिजोरम ने राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार सेना के जवानों की जल्द वापसी की जरूरत पर जोर दिया।

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