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नई दिल्ली: म्यांमार में बढ़ती विद्रोही ताकतों और जुंटा-शासन के बीच तेज हो रही लड़ाई के बीच, म्यांमार सेना के सैकड़ों जवान भारत की ओर भाग रहे हैं। मिजोरम सरकार ने इस घटनाक्रम के बारे में केंद्र सरकार को सचेत किया है। साथ ही जल्द यह यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि पड़ोसी देश के सैनिकों को वापस भेजा जाए। तेज होती झड़पों के बीच म्यांमार सेना के करीब 600 सैनिक भारत में घुस आए हैं। उन्होंने मिजोरम के लांग्टलाई जिले में शरण ले रखी है।

अराकन आर्मी ने सैनिक शिविरों पर किया कब्जा

सरकारी सूत्रों के मुताबिक पश्चिमी म्यांमार राज्य के रकाइन में एक जातीय सशस्त्र समूह अराकन आर्मी (एए) के उग्रवादियों ने उनके शिविरों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि सैनिकों को असम राइफल्स शिविर में आश्रय दिया गया है। मिजोरम के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने शिलांग में हुई पूर्वोत्तर परिषद की बैठक के पूर्ण सत्र में गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे पर बातचीत की। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मिजोरम ने राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार सेना के जवानों की जल्द वापसी की जरूरत पर जोर दिया।

यह याचिका बढ़ते तनाव और इसके क्षेत्र की स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच आई है।

शरण लेने के लिए म्यांमार से मिजोरम आ रहे लोग

मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने पूर्ण सत्र के बाद पत्रकारों को मौजूद हालात से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि लोग शरण लेने के लिए म्यांमार से भागकर हमारे देश आ रहे हैं और हम इंसानी तौर पर उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि म्यांमार के सैनिक आते रहते हैं और शरण मांगते हैं। पहले उनको हवाई मार्ग से वापस भेजा जाता था।

मिजोरम के सीएम ने कहा, करीब 450 सैन्यकर्मियों को वापस भेज दिया गया। 2021 के तख्तापलट के बाद से म्यांमार के जनरलों को सबसे बड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है। अक्टूबर के आखिर में तीन जातीय अल्पसंख्यक बलों द्वारा हमले और कुछ कस्बों और सैन्य चौकियों पर कब्जा करके सैनिकों को भागने के लिए मजबूर किया गया, तब से हालात काफी खराब हो गए हैं।

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